चंडीगढ़। आयकर विभाग के पास 5 ऐसे केस आए हैं जिनमें बैंक खाते फर्जी नाम पर हैं परन्तु उनमें करोड़ों रुपए की ट्रांजैक्शन हो रही है। अब आयकर विभाग को लग रहा है कि यह या तो काला धन है या आतंकी फंडिंग है। यह धन विदेश से जिन खातों में आ रहा है, वे सब फर्जी है।
इस सारे मामले की छानबीन इन्वैस्टीगेशन विंग के प्रिंसीपल कमिश्नर परनीत सचदेव व ज्वाइंट कमिश्नर रोहित मेहरा कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों से पता चला है कि जो केस सामने आए हैं, उनके खाते 2 निजी बैंकों में खोले गए हैं और जिन नामों पर ये खाते खोले गए, उनमें एक फिरोजपुर से संबंधित मजदूर का है जो दिहाड़ी पर काम करता है। उसका महीने का वेतन महज 8000 रुपए है।
उसके खाते में 1 करोड़ की ट्रांजैक्शन हुई है। उसके अनुसार उसने जीवन में कभी बैंक खाता नहीं खुलवाया क्योंकि उसे इसकी जरूरत ही नहीं महसूस हुई, जबकि दूसरा खाता एक अमृतसर की महिला के नाम का है जो घरेलू औरत है। उसके खाते में 50 लाख रुपए आए हैं।
इसी प्रकार तीसरा खाता खन्ना के एक ट्रेडर का है जिसके खाते में 1 करोड़ 82 लाख रुपए आए जो बाद में वापस चले गए। लेकिन जांच में पता चला कि वे रुपए जिस खाते से आए थे उसमें वापस न जाकर अन्य 2 खातों में ट्रांसफर हो गए।
विभाग को तफ्तीश से पता चला है कि ये बैंक खाते फर्जी आईडी लगा कर खोले गए हैं क्योंकि वोटर कार्ड असली हैं परन्तु पैन कार्ड नकली हैं। महिला की फोटो और नाम ठीक है परन्तु बाकी सब कुछ नकली लगा कर बैंक खाते खोले गए।
इसके अलावा एक अन्य खाता भटिंडा का है जिसकी छानबीन विभाग गहराई से कर रहा है। इस केस में विभाग के शक की सुई जहां ब्लैक मनी की ओर जा रही है, वहीं विभाग इसके आतंकी फंडिंग होने से भी इन्कार नहीं कर रहा है।
विभागीय सूत्रों से पता चला है कि उन्होंने इस सारे मामले की शिकायत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को की है ताकि पता चल सके कि बैंक की यह गतिविधि प्रिवैंशन ऑफ फाइनैंशियल टैरेरिज्म एक्ट के तहत तो नहीं है।