जयपुर। प्रदेश की राजनीति में भले ही दो दलों,भारतीय जनाता पार्टी और कांग्रेस का दबदबा रहा हो और सत्ता में काबिज रही हैं, लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुनाव में इन दोनों पार्टियों से समर्थित छात्र संगठनों की स्थिति लगभग विपरित रही है।
विश्वविद्यालय में अब तक जितनी भी बार चुनाव हुए , उनमें अधिकांश बार छात्रसंघ अध्यक्ष के पद पर निर्दलीय प्रत्याशियों का ही पलड़ा भारी रहा है।
भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) दूसरे और कांग्रेस समर्थित नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) तीसरे स्थान पर रही है।
यह अलग बात है कि निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव मैदान में खड़े होकर अध्यक्ष पद पर बैठने वाले छात्रसंघ अध्यक्षों ने बाद में भाजपा ,कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी का हाथ थाम लिया। इस साल विवि के 33वें छात्रसंघ अध्यक्ष के लिए चुनाव 22 अगस्त को होंगे।
विवि में छात्रसंघ चुनावों की शुरूआत 1967 से हुई थी। उस समय आदर्श किशोर सक्सेना सीधे अध्यक्ष पद पर चुने गए। तब से लेकर अब तक 32 बार छात्रसंघ अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। प्रत्यक्ष प्रणाली के आधार पर पहली बार चुनाव 1970 में शुरू हुए, जिसमें छात्र-छात्राओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
9 अप्रेल 1971 को अस्तित्व में आने वाले छात्र संगठन एनएसयूआई के विवि में मात्र तीन प्रत्याशी अब तक छात्रसंघ अध्यक्ष के पद पर पहुंचने में सफल रहे, इसमें पुष्पेंद्र भारद्वाज, नगेंद्र सिंह शेखावत और फिलहाल अध्यक्ष अनिल चौपड़ा शामिल हंै।
जहां तक 1948 में अस्तित्व में आने वाले छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बात है तो इस संगठन के बैनर तले छात्रसंघ अध्यक्ष के पद पर 9 प्रत्याशियों ने विजय प्राप्त की है, जबकि 15 प्रत्याशी निर्दलीय रूप से विजयी रहे हैं।
इसके अलावा तीन प्रत्याशी कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष बने है। आदर्श किशोर सक्सेना अप्रत्यक्ष रूप से अध्यक्ष पद पर चुने गए और हुकुम सिंह 1971-72 सीपीआर्ई के अध्यक्ष बने। विश्वविद्यालय में एनएसयूआई का पहला छात्रसंघ अध्यक्ष 2001 में बना था। इससे पहले एक भी प्रत्याशी एनएसयूआई का अध्यक्ष पद तक नहीं पहुंच पाया था।
व्यक्तित्व को महत्व
चुनावी आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि विवि में मतदाताओं ने राजनीतिक पार्टियों से ऊपर उठकर प्रत्याशी के व्यक्तित्व को महत्व दिया है। मतदाता ने उन छात्रनेताओं को अपना अध्यक्ष चुना जिसके लिए उन्हें लगता था कि वह छात्रहित के लिए संघर्ष करेगा।
विवि छात्रसंघ अध्यक्ष बने तीन नेता वर्तमान भाजपा सरकार में मंत्री है। इनमें कालीचरण सराफ उच्च शिक्षामंत्री है, जो 1974-75 में एबवीपीसी से विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष बने थे। राजेंद्र राठौड़ 1978-79 में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे जो वर्तमान सरकार के संसदीय कार्य मंत्री और चिकित्सा मंत्री हैं। इसके साथ ही राजपाल सिंह शेखावत 1980-81 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने और वर्तमान में यूडीएच मंत्री हैं।
विवि के सत्र 2011-12 में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में लॉ कॉलेज की छात्रा प्रभा चौधरी अध्यक्ष बनी। इस दौरान छात्राओं में जमकर उत्साह देखने को मिला। प्रभा के कार्यकालय में विवि के कुलपति प्रो. बी.एल. शर्मा थे और उस दौरान विद्यार्थियों का सबसे अधिक विरोध हुआ। सत्र 2014-15 में एनएसयूआई के पूरे पैनल को चुनाव में जीत प्राप्त हुई। इसमें छात्रसंघ अध्यक्ष अनिल चौपड़ा, महासचिव विजय दीप तामडिय़ा, उपाध्यक्ष सुरभी मीणा और संयुक्त सचिव पद शामिल है।