संयुक्त राष्ट्र। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि भारत और चीन के उल्लेखनीय विकास से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अत्यंत बेहतर हो गई है। ओबामा ने मंगलवार को यूएनजीए के 71वें सत्र को आखिरी बार संबोधित किया।
ओबामा ने कहा, “असल में हमारी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अत्यंत बेहतर हो गई है। इसे हमें इस रूप में लेना चाहिए कि महाशक्तियां लंबे समय तक विश्व युद्ध में जुटी नहीं रह सकती हैं। शीत युद्ध के अंत ने परमाणु युद्ध के खतरे को खत्म कर दिया। और यह कि चीन और भारत अभी भी उल्लेखनीय विकास की राह पर बने हैं।”
ओबामा ने कहा कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद एक चौथाई सदी बीत चुकी है। दुनिया के कई कदम हिंसा से बचने और समृद्धि की दिशा में जाने वाले हैं। मौजूदा संकट पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा, “बेशुमार प्रगति के बावजूद लोगों का संस्थानों से भरोसा उठ चुका है।
शासन चलाना और ज्यादा कठिन हो गया है और देशों के बीच को तनाव सतह पर आने में देरी नहीं लगती है।” देशों को बेहतर साझीदारी और एकजुटता के मॉडल के साथ अपनी पसंद की राह पर आगे बढ़ने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पहली बार दूसरे वक्ता नहीं बने अमेरिकी राष्ट्रपति
यह पहला मौका था जब महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति दूसरे वक्ता नहीं बन सके। अपने कार्यकाल में महासभा को अंतिम बार संबोधित करने के लिए बराक ओबामा देरी से पहुंचे थे। उनके देरी से पहुंचने के कारण महासभा के अध्यक्ष को उनके बाद के वक्ता को समय देना पड़ा।
परंपरा के मुताबिक आम बहस में ब्राजील के बाद अमेरिका दूसरा वक्ता होता आया है। अमेरिका के कमांडर इन चीफ के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा में ओबामा का यह आठवां और अंतिम संबोधन था।
इजरायल से फिलिस्तीनी पर कब्जा हटाने को कहा
ओबामा ने कहा कि यदि इजरायल मान ले कि वह फिलिस्तीन की जमीन पर स्थायी कब्जा बनाए नहीं रख सकता है। यदि फिलिस्तीन मिल रहे शह को ठुकरा दे और इजरायल को वैधानिक मान ले तो दोनों पक्षों को लाभ होगा।
आठ वर्षों तक इजरायल-फिलिस्तीन शांति समझौते के प्रयास में ओबामा जुटे रहे लेकिन उन्हें इसमें कोई सफलता नहीं मिल पाई। रूस के अपने खोए हुए गौरव को फिर से हासिल करने के प्रयास की भी उन्होंने निंदा की।