नई दिल्ली। भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने दोनों देशों के बीच मित्रता को एक व्यापक सामरिक भागीदारी में विकसित करने के लिए सहमति जताई और आतंकवाद, साइबर आतंक, समुद्री डकैती जैसे विषयों को समाप्त करने के लिए एक वार्षिक नीति वार्ता आरम्भ करने पर बल दिया।
दोनों पक्षों ने आतंकवाद के विषय पर विश्व के कुछ देशों के दोहरे मापदंडों की कड़ी आलोचना करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आह्वान किया कि वह आतंकवाद का किसी भी रूप में औचित्य साबित करने की कोशिश न करें।
यूएई के राजकुमार और सेना के उप-सुप्रीम कमांडर शेख मुहम्मद बिन ज़ायेद अल नाहयान की तीन दिवसीय भारत यात्रा के समापन पर एक साझे वक्तव्य में दोनों पक्षों ने कुछ देशों के आतंकवाद को एक धार्मिक परिपेक्ष में देखने के प्रयासों की भर्तस्ना की।
पाकिस्तान का नाम लिए बग़ैर वक्तव्य में कहा गया कि यह सब देशों की जिम्मेदारी है कि अराजक तत्वों की गतिविधियों और संचालन को नियंत्रित करे और अन्य राज्यों के विरुद्द अपने क्षेत्रों से आतंकवाद को प्रोत्साहित न करें।
दोनों पक्षों के बीच सुदृढ़ साझेदारी की सराहना करते हुए वक्तव्य में कहा गया है सामरिक भागीदारी को आगे ले जाने के लिए व्यापार को बढ़ाना आवश्यक होगा। उन्होंने भारत-यूएई व्यापार परिषद को सुदृढ़ बनाने पर भी ज़ोर दिया।
दोनों पक्षों ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार 60 प्रतिशत बढ़ाने पर सहमति जताई और विभिन्न टैरिफ और गैर टैरिफ बाधाओं की जांच करते हुए प्राथमिकता वस्तुओं के व्यापार को बढ़ाने और दोनों बाजारों में माल और सेवाओं की पहुंच का विस्तार करने और बुनियादी ढांचे के विकास पर भारत ने अपनी कंपनियों के अनुभव और विशेषज्ञता पर बल दिया।