वॉशिंगटन/नई दिल्ली। भारत और अमरीका के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओऐ) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
वॉशिंगटन में भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और उनके अमरीकी समकक्ष डॉ ऐश्टन कार्टर के बीच वार्ता के बाद समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के तहत सैन्य अभ्यास एवं प्रशिक्षण, मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रयासों पर दोनों देश संयुक्त रूप से काम करेंगे।
इसके साथ ही दोनों देश एक दूसरे की स्पेयर पार्ट्स, सेवा और ईंधन का इस्तेमाल कर सकेंगे। समर्थन के लिए या तो लॉजिस्टिक्स का मूल्य चुकाना होगा या पारस्परिक समर्थन देना होगा। इस समझौते के बाद अमेरिका भारतीय बेसों का इस्तेमाल कर सकेगा वहीं भारत दुनिया भर में अमेरिकी बेस का इस्तेमाल कर सकेगा।
एलईएमओऐ के तहत दोनों देशों की सेनाओं के बीच लॉजिस्टिक एक्सचेंज के लिए बुनियादी नियमों, शर्तों और प्रक्रियाओं को तय किया जाएगा।
अमरीकी रक्षा मंत्री डॉ ऐश्टन कार्टर ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश को लेकर एक बार फिर अमरीका के समर्थन का विश्वास दिलाया और मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का सदस्य बनने पर भारत को बधाई दी।
दोनों रक्षा मंत्रियों की वार्ता के बाद जारी किए गए एक संयुक्त वक्तव्य में इस समझौते की अहमियत का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इससे दोनों सेनाओं के बीच आदान प्रदान के लिए अतिरिक्त अवसर प्राप्त होंगे।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच संबंध आपसी मूल्यों, हितों और विश्व में शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर आधारित हैं। दोनों मंत्रियों ने रक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग और मज़बूत सामरिक संबंधों को महत्वपूर्ण बताया।
वक्तव्य में कहा गया है कि भारतीय रक्षा मंत्री का यह अमरिकी दौरा दोनों देशों के बीच अनेक क्षेत्रों में मज़बूत रक्षा संबंधों को दर्शाता है। इसमें सामरिक एवं क्षेत्रीय सहयोग, सैन्य आदान-प्रदान, रक्षा प्रौद्योगिकी और नवाचार पर सहयोग बढ़ाना है। अमरीका रक्षा व्यापार को बढ़ावा देने और भारत के साथ तकनीक साझा करने के लिए राजी हुआ है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जून में वॉशिंगटन यात्रा के दौरान अमेरिका ने भारत को अपना ‘प्रमुख रक्षा भागीदार’ बताया था। दोनों मंत्रियों ने इस तंत्र के महत्त्व पर चर्चा की और कहा कि इस तंत्र के अंतर्गत रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार में नवीन और उन्नत अवसरों की सुविधा मिलेगी। इसके तहत अमरीका ने रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को अपने करीबी सहयोगियों में शुमार करने पर सहमति जताई।