नई दिल्लींं। भारत सरकार ने देश में सक्रिय आतंकी संगठन आईएस के सदस्यों की जांच के लिए पहली बार पड़ोसी देश चीन से मदद मांगी है। फिलहाल इसे भारत की ओर से आतंकवाद पर चीन के खिलाफ एक बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को प्रतिबंधित किए जाने के भारत के प्रस्ताव पर चीन द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के बावजूद विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर चीन से मदद मांगी है, ताकि दुनिया के सामने चीन की मंशा का खुलासा हो जाए।
अगर चीन भारत के इस कदम पर सकारात्मक जवाब नहीं देता है तो वो भी पाकिस्तान की तरह दुनियाभर के सामने आ जाएगा।
भारत सरकार ने देश में सक्रिय आईएसआईएस के सदस्यों की जांच के लिए चीन से मदद मांगी है। मजीद भारत में गिरफ्तार होने वाला आईएस का अकेला सदस्य है,जो सीरिया जाकर आतंकी संगठन की ओर से लड़ा था।
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एआईए) ने कुछ दिनों पहले एक पत्र लिखकर आईएस द्वारा 2014 में भर्ती किए गए। अरीब मजीद के मामले की जांच के सिलसिले में मदद मांगी थी।
दरअसल एनआईए ने चीन से मजीद की उसके सीरिया और इराक में मौजूद हैंडलर्स के साथ बातचीत की जानकारी मांगी थी।
मजीद ने ‘वीचैट’ मेसेज सर्विस के जरिए आईएस के हैंडलर्स से बातचीत की थी। यह सर्विस चीन की है। इसलिए उनकी चैट आईडी और बातचीत के बारे में जानने के लिए चीन को लेटर भेजा गया है।