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अन्तरमहाद्वीपिय प्रक्षेपास्त्र 'सूर्या' की तैयारियों में जुटा भारत - Sabguru News
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अन्तरमहाद्वीपिय प्रक्षेपास्त्र ‘सूर्या’ की तैयारियों में जुटा भारत

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अन्तरमहाद्वीपिय प्रक्षेपास्त्र ‘सूर्या’ की तैयारियों में जुटा भारत
india is developing surya intercontinental ballistic missile
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भारत ने गत वर्षों में अपने 5000 किलोमीटर तक मार करने वाले लम्बी दूरी के बैलेस्टिक मिसाईल अग्नि 5 के सफल परीक्षणों से अपने मिसाईल कार्यक्रम का दुनिया भर में लोहा मनवा दिया है।

अग्नि 5 में तीन चरणों वाली ठोस ईंधन प्रणोदक मोटर का उपयोग किया गया है जिसे सैना के टैट्रा ट्रक से कनस्तर के जरिये भी दागा जा सकता है। यह मिसाईल को और भी घातक बनाता है क्योंकि इसके द्वारा युद्ध के समय इसे आसानी से कहीं भी ले जाकर दागा जा सकता है।

इस मिसाईल की जद में चीन सहित सम्पूर्ण एशिया व यूरोप आते हैं मगर यह सही मायने में अन्तरमहाद्वीपिय प्रक्षेपास्त्र नहीं है क्योंकि अन्तरमहाद्वीपिय प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता कम से कम 8000 कि.मी. होती है।

भारत को सही मायनों में वैश्विक ताकत बनने के लिए उसके पास ऐसा मिसाईल दागने की क्षमता का होना आवश्यक है जो 8000 कि.मी. या इससे ज्यादा दूरी तक परमाणु बम दागने में सक्षम हो।

भारत अग्नि 5 की सफलता के बाद सूर्या नामक लम्बी दूरी के अन्तरमहाद्वीपिय प्रक्षेपास्त्र के विकास की जोर शोर से तैयारी कर रहा है जो न केवल 12000 से 16000 कि.मी. तक मार कर सकेगा।

इतना ही नहीं बल्कि एक साथ 3 से 10 तक आण्विक मुखास्त्र ले जाने में सक्षम होगा जो एक साथ एक ही लक्ष्य पर या अलग—अलग विभिन्न लक्ष्यों पर प्रहार कर सकेंगे।

मिसाईल के क्षेत्र में इसे एम.आई.आर.वी.यानी मल्टीपल इंडिपेन्डेन्टली टार्गेटएबल रीएन्ट्री व्हीकल कहा जाता है। इस तरह की मिसाईल अब तक अमरीका, रूस, फ्रान्स, ब्रिटेन और चीन के पास ही है।

भारत इस मिसाईल का परीक्षण 2017—18 में कर सकता है जिसके जरिये भारत को युद्ध के दौरान एक ही मिसाईल से दुश्मन के कई ठिकानों को एक साथ नेस्तनाबूद करने की क्षमता हासिल हो जाएगी और भारत एक ही मिसाईल के हमले से शत्रू की कमर तोड उसे परास्त् करने में सक्षम हो जाएगा।

इस मिसाईल की 24 मैक (1 मैक — 1234.8 कि.मी. प्रति घंटा) की अत्यंत तीव्र प्रहार क्षमता इसे बीच में ही पहचान कर नष्ट कर पाना नामुमकिन बना देती है।

भारत द्वारा इस जटिल तकनीक का विकास कर पाना कठिन नहीं है क्योंकि यह तीन चरणों वाली प्रक्षेपास्त्र मोटर पर आधारित होगा जिसके पहले दो चरण ठोस व तीसरा चरण तरल प्रणोदक आधारित होगा।

यह काफी हद तक हमारे पी.एस.एल.वी. रॉकेट जैसी ही तकनीक है, जिसके जरिये हमने हाल ही में 104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोडे थे, जिसमें हमें महारत हासिल है।

इस प्रक्षेपास्त्र को विकसित कर भारत विश्व में कहीं भी परमाणु ​हथियार दागने की क्षमता हासिल कर लेगा जो भारत ​को सही मायने में महाश​क्ति बनाने में मद्द करेगा।

प्रशान्त झा