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नई दिल्ली। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारतीय सेना ने बुधवार देर रात नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ़ कंट्रोल एलओसी) पर बने आतंकी लॉन्च पैडों पर सर्जिकल आपरेशन किया जिसमें कई आतंकी मारे गए, डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशन्स (डीजीएमओ) लेफ़्टेनेंट जनरल रणबीर सिंह ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी।
आनन-फानन में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन में जनरल सिंह ने कहा कि उन्हें समाचार मिला था कि कुछ आतंकी गुटों ने एलओसी के निकट शिविर स्थापित किये थे और वह जम्मू-कश्मीर और कुछ महानगरों में हमले करने वाले थे। जनरल सिंह के बताया कि भारतीय सेना ने इन लॉन्च पैडों पर सर्जिकल स्ट्राइक्स किए।
सूत्रों के अनुसार इस हमले में लगभग 30-35 आतंकी मारे गए हैं। यह हमले रात 12:30 बजे से लेकर 4:30 बजे तक हुए और एलओसी के पार लगभग दो किलोमीटर पर स्थित पांच आतंकी शिविर नष्ट हो गए। हमले हेलीकॉप्टरों से किए गए। भारतीय सेना के सभी जवान सुरक्षित हैं।
जनरल सिंह ने बताया उन्हें विश्वसनीय और विशेष जानकारी मिली थी कि कुछ आतंकियों ने एलओसी के निकट जम्मू-कश्मीर और महानगरों में हमले करने के लिए लॉन्च पैड स्थापित किए हैं।
इस सूचना के आधार पर भारतीय सेना ने इन लॉन्च पैडों पर हमले किए। यह हमले केवल इसलिए किए गए कि यह आतंकी भारत के अंदर घुसपैठ करने और भारतीय जनता को किसी प्रकार की हानि पहुंचाने में सफल न हों। इन हमलों में आतंकियों और उनके सहायकों को भारी नुक्सान पहुंचा है।
जनरल सिंह ने यह भी बताया कि सभी ऑपरेशन समाप्त हो गए हैं और ऐसे ऑपरेशन फिर से करने की कोई योजना नहीं है परंतु भारतीय सेनाएं किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
जनरल सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने पाकिस्तानी समकक्ष से भी बात की है और उन्हें भारत की चिंता से अवगत कराया और बुधवार रात्रि के हमले के विषय में जानकारी दी। जनरल सिंह ने कहा भारत पूरे क्षेत्र में शांति और सदभावना चाहता है परंतु भारत कभी इसकी इजाज़त नहीं दे सकता कि आतंकवादी नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ करें और भारत पर हमले करें। उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान से अपेक्षा करता है कि पाकिस्तान उसके साथ मिलकर पूरे क्षेत्र से आतंकियों का सफाया कर दे।
वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने इस हमले की घोर निंदा की है और कहा है कि वह अपने देश की सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। नवाज़ शरीफ ने इसे भारत द्वारा एलओसी का उल्लंघन बताया।
दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना द्वारा किसी भी सर्जिकल स्ट्राइक का खंडन किया है और कहा है कि ऐसी कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई। यह केवल भारत की ओर से सीमापार से गोलीबारी हुई थी।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा सर्जिकल स्ट्राइक से पहले राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को विश्वास में लिया गया था।
इससे पहले गुरुवार सवेरे प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की एक बैठक बुलाई थी जिसमें इस सर्जिकल स्ट्राइक पर चर्चा की गई। बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और भारतीय सेना के उच्च अधिकारी भी थे।
देश भर में इस सर्जिकल ऑपरेशन की प्रशंसा हुई है। सुरक्षा विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने कहा है कि प्रधानमंत्री का यह क़दम प्रशंसनीय है और आतंकवादियों को सबक़ सिखाना ज़रूरी हो गया था।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह सर्जिकल स्ट्राइक कोई वॉर क्राइम (युद्ध अपराध) नहीं है क्योंकि एलओसी के पार हमले युद्ध अपराध नहीं होते। अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के पार कोई हमले युद्ध अपराध हो सकते हैं। इसलिए पाकिस्तान का यह कहना किया यह एक युद्द अपराध है, कोई मतलब नहीं रखता।
जनरल सिंह ने जम्मू-कश्मीर में एलओसी से आतंकवादियों के निरंतर घुसपैठ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय सेना ने इस वर्ष आतंकियों द्वारा लगभग 20 घुसपैठ के प्रयास विफल कर दिए। इसके साथ साथ भारतीय सेना ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और पाकिस्तानी चिह्नों वाली कुछ वस्तुएं भी ज़ब्त की हैं।
इसके आलावा हिरासत में लिए गए आतंकियों ने माना कि वह पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर से हैं और उन्हें पाकिस्तान में प्रशिक्षण मिला है। यह सब मामले समय-समय पर राजनयिक और सेना के उच्च स्तरों पर उठाए गए। भारत ने पकड़े गए आतंकियों के लिए पाकिस्तान सरकार को उनसे मिलने के लिए राजनयिक तौर पर इजाज़त भी दी है।
जनरल सिंह ने कहा भारत ने पूंछ और उरी में मारे गए आतंकियों के डीएनए के नमूने और उंगलियों के निशान भी पाकिस्तान को देने की पेशकश की है परंतु इन सबके बावजूद भारत के आग्रह और पाकिस्तान के 2004 में दिया गए आश्वासन के बाद भी आतंकियों की घुसपैठ और हमलों में कोई फ़र्क़ नहीं हुआ। इस सबके बावजूद यदि भारत में ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ, वह इसलिए कि भारतीय सेना के जवान चौकन्ने रहे।
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