नई दिल्ली। युवाओं के कैरियर विकल्प के लिए उत्साहजनक एवं स्वरोजगार को महत्वपूर्ण बताते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि इसके लिए हमें समावेशी नवाचार पद्धति को बढावा देना होगा। इस पद्धति से कम आय वाले और पिछड़े समूहों के लोगों का कल्याण हो सकेगा।
इसके साथ ही राष्ट्रपति मुखर्जी ने अगले दशक तक देश में 115 मिलियन गैर कृषि रोजगार के अवसर बढ़ाने की वकालत की है,ताकि जनसांख्यिकीय विभाजन को खत्म करते हुए देश के कर्मचारियों के लिए रोजगार के अवसर को बढ़ाया जा सके।
राजधानी दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित नवाचार की प्रदर्शनी समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शनिवार शाम को यहां कहा कि देश में नवाचार प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिए छोटे, उद्यम एवं मध्यम स्तर के विनिर्माण प्रक्रिया को प्रोत्साहन देना होगा, ताकि जमीन स्तर पर इसके विकास को प्रोत्साहन मिल सके।
उद्यमिता को आर्थिक एजेंडे के लिए समय की मांग बताते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि अगले दशक तक देश में 115 मिलियन गैर कृषि रोजगार के अवसर देना होगा। इससे देश में बढ़ रही जनसांख्यिकीय विभाजन को खत्म किया जा सकेगा।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि कई विकसित देश नवाचार, स्टार्ट अप एवं रिसर्च पद्धति को बढ़ावा देने के लिए अपने नेतृत्व क्षमता को शैक्षणिक रुप से मजबूत करने के दिशा प्रयासरत है। इस दिशा में भारत में स्थित 700 विश्वविद्यालयों एवं 35,000 से अधिक कॉलेजों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बौद्धिक पूंजी को निवेशित किया जा रहा हैं।
वर्ष 2013 में केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों के एक सम्मेलन में दिए अपनें संबोधन का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि उस दौरान भी उन्होंने देश में नवाचार क्लब की स्थापना की बात कही थी। यह क्लब छात्रों और संकाय तथा जमीन स्तर पर नवीन आविष्कारों के बीच विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा।
उन्होंने कहा कि उनकी पहल का ही परिमाण है कि अगले तीन वर्षों के दौरान देश के 85,000 से अधिक उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार क्लब, इन्क्यूबेटरों और केन्द्रों की स्थापना की गई है।
गत वर्ष देश के कुलपति निदेशकों का सम्मेलन एवं इस वर्ष फरवरी माह में आयोजित गर्वनर सम्मेलन की बात करते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि उस दौरान भी उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, आईआईटी, एनआईटी के निदेशक आईआईएसईआर और आईआईएससी के निदेशकों से अपील करते हुए कहा था कि अपने नियंत्रण वाले संस्थानों में नवाचार उत्पाद एवं सेवा विषय पर उन्हें काम करना चाहिए।
भारतीय फर्म और व्यापारियों द्वारा देश के अनुसंधान एवं विकास में कम निवेश किए जाने पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि इस दिशा में वैश्विक प्रयासों को देखते हुए देश को भी विकास एवं अनुसंधान में निवेश को बढ़ावा देने की जरुरत हैं। इस मौके पर राष्ट्रपति ने अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की।