नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कुलभूषण जाधव मामले में भारत तथा पाकिस्तान को अपने-अपने प्रतिवेदन पेश करने के लिए कहा है।
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ भारत ने आईसीजे की शरण ली है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने पाकिस्तानी मीडिया में आई उन खबरों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि आठ जून को अंतर्राष्ट्रीय अदालत ने भारत तथा पकिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान मामले में एक याचिका दाखिल करने के लिए भारत द्वारा मांगे गए छह महीने के समय के अनुरोध को खारिज कर दिया।
बागले ने कहा कि दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने मामले में अगला तर्क पेश करने को लेकर समय-सीमा पर विचार-विमर्श करने के लिए आईसीजे के अध्यक्ष रॉनी अब्राहम से मुलाकात की थी।
उन्होंने कहा कि यह अदालत की पूर्णकालिक बैठक नहीं थी। समय-सीमा पर चर्चा हुई और इसके परिणाम स्वरूप हमने अदालत से मामले की जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया।
प्रवक्ता ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने याचिका दाखिल करने के लिए चार महीने का वक्त मांगा और उसकी मंजूरी मिल गई। उन्होंने कहा कि यह तथ्यात्मक स्थिति है। मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट अदालत के फैसले को प्रतिबिंबित करती है।
उन्होंने कहा कि अदालत ने भारत को 13 सितंबर तक मामले के समर्थन में अपने आवेदन सौंपने का निर्देश दिया, वहीं पाकिस्तान को 13 दिसंबर तक उसका जवाब जमा कराने के लिए कहा गया। प्रवक्ता ने कहा कि इसके बाद अदालत को फैसला करना है।
यह पूछे जाने पर कि क्या अगली सुनवाई अगले साल जनवरी में होने की संभावना है? बागले ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।
उन्होंने कहा कि सुनवाई जनवरी 2018 में होगी या नहीं, इस पर फैसला दोनों पक्षों के दस्तावेजों को देखने के बाद अदालत करेगी। अदालत यह भी देखेगी कि दोनों पक्षों की तरफ से कहीं और दस्तावेजों की तो जरूरत नहीं है। आईसीजे ने मामले में अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी पर 18 मई को रोक लगा दी थी।