मास्को। अमरीका के एफ-35 लड़ाकू विमानों से मिग-35 लड़ाकू विमान ज्यादा बेहतर बताए जा रहे हैं। मिग-35 का सार्वजनिक प्रदर्शन एमएकेएस एयरोस्पेस एक्जिबिशन में किया गया। विमान के रूसी निर्माताओं का कहना है कि विमान की बिक्री के लिए भारत से बातचीत जारी है।
झूकोवस्की हवाईअड्डे पर आंशिक रूप से बादल के बीच 4प्लसप्लस पीढ़ी के विमान ने अपनी उड़ान भरी और पहली बार सैकड़ों दर्शकों ने इसे ध्यान से देखा।
जेएससी रसियन एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के महानिदेशक इल्या एस. तारासेंको ने एयरशो से इतर कहा कि नया जेट 5वीं पीढ़ी के लॉकहीड-मार्टिन एफ-35 से बेहतर है, जिन्हें पेरिस एयरशो के दौरान सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित किया गया था। उन्होंने कहा कि यह आसानी से प्रतिद्वंद्वी विमानों से लड़ाई लड़ सकता है। इस सवाल पर कि क्या भारत ने विमान खरीदने की इच्छा जाहिर की है? उन्होंने कहा कि निस्संदेह वे ऐसा चाहते हैं।
तारासेंकों ने कहा कि जनवरी में मिग-35 को प्रस्तुत करने के बाद हमने इसे भारत और दुनिया भर में सक्रिय तौर पर बढ़ावा देना शुरू किया। हम भारत में निविदा के लिए विमान की आपूर्ति का प्रस्ताव दे रहे हैं और हम निविदा पाने के लिए वायुसेना के साथ सक्रिय तौर पर काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि हम तकनीकी और प्रौद्योगिकी विशेषताओं पर बातचीत के चरण में हैं, ताकि इस मिग को और इस विमान से भारत की जरूरतों को प्रस्तुत किया जा सके। चूंकि यह बिल्कुल नया विमान है, इसलिए इस पर बातचीत में कुछ समय लगेगा क्योंकि यह पता करना जरूरी है कि वास्तव में भारत की क्या जरूरत है और उसके अनुरूप इस उत्पाद में क्या समायोजन करना है।
चूंकि भारतीय वायुसेना अपने सोवियत युग के मिग-21 के स्थान पर एक मध्यम बहु-भूमिका वाले युद्धक विमान (एमएमआरसीए) की तलाश कर रही है, लिहाजा इस विमान से उसे आसानी होगी। मिग-21 को पहली बार 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था।
साल 2007 में 120 विमानों के लिए निविदा निकालने के बाद, छह अलग-अलग तरह के विमानों का मूल्यांकन करके दो को सूचीबद्ध किया गया। इसके बाद प्रक्रिया को अचानक निरस्त कर दिया गया और भारत ने 2015 में 36 राफेल जेट का आर्डर दिया, जिसके अंतिम दस्तावेजों पर हाल में हस्ताक्षर किया गया है।
तारासेंको के अनुसार, मिग-35 अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले 20 से 25 फीसदी सस्ता है और भारत को इसके कई किस्मों को उड़ाने व रखरखाव की सुविधा का अनुभव है, इससे नए विमान को लेने में आसानी होगी।