मुंबई। इसरो ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए बुधवार सुबह एक साथ 20 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इनमें से जहां 17 सैटेलाइट अन्य देशों के हैं, वहीं तीन सैटेलाइट भारत के हैं। इन तीन में से भी एक सैटेलाइट स्वयम पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों ने मिलकर डिजाइन किया और बनाया है।
गौरतलब है कि पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा जो पिको सैटेलाइट तैयार की गई है, वह एक बाई डायरेक्शनल कम्यूनिकेशन प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है और अंतरिक्ष में 500-800 किमी की ऊंचाई से पृथ्वी के चक्कर लगाएगा।
इस प्रोजेक्ट को 40 छात्रों की टीम ने 2008 में बनाना शुरू किया था और बुधवार, 22 जून की सुबह उसे सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए इसरो और कॉलेज के बीच 23 मई 2013 को एक एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए थे। करीब एक किलो वजनी इस सेटेलाइट का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार की व्यवस्था को सुधारना है।
इसकी खास विशेषता यह है कि इसमें एट्टीट्यूड कंट्रोल सिस्टम है, जो सेटेलाइट के ऊर्जस्वी गतिविधियों को नियंत्रित करता है। स्वयम पॉइंट टू पॉइंट मैसेजिंग सर्विस को होस्ट करेगा, जिसके चलते सैटेलाइट की मदद से संदेशों को धरती के एक कोने से दूसरे कोने तक भेजा और स्टोर किया जा सकेगा।
इस तरह से इसरो ने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों द्वारा तैयार पिको सैटेलाइट के साथ कुल 20 सैटेलाइटों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।
राष्ट्रपति ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को श्रीहरिकोटा से एक ही उड़ान में एक साथ 20 सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च कर नया कीर्तिमान रचने पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी है।
इसरो के अध्यक्ष ए.एस. किरण कुमार को भेजे एक संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि इसरो के अपनी 36वीं उड़ान में पीएसएलवी-C34 कार्टोसैट-2 श्रृंखला के 727.5 किलो के सैटेलाइट के साथ 19 दूसरे सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में लॉन्च करने पर मैं आपको और आपकी पूरी टीम को दिल से बधाई देता हूं।
उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि कार्टोसैट-2 से जो छवियां प्राप्त होगी वह दृश्य विशिष्ट चित्रों को चिन्हित करने में उपयोगी होगी जो कि मानचित्रण, अन्य कार्टोग्राफिक अनुप्रयोगों और भूमि सूचना प्रणाली एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली में उपयोगी हो सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस सफलता से पूरा देश गौरान्वित महसूस करता है। जिसने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि भारत की अंतरिक्ष क्षमता बढ़ रही है। कृपया मेरी शुभकामनाएं इस अभियान से जुड़े हुए अपनी टीम के सभी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों और अन्य सहयोगियों तक पहुंचा दे। मैं इसरो द्वारा भविष्य में किए जाने वाले सभी प्रयासों के सफलता की कामना करता हूं।