नई दिल्ली/तेहरान। भारत, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान बे बीच ईरान की राजधानी तेहरान में सोमवार को एक ऐतिहासिक त्रिपक्षीय परिवहन और पारगमन समझौते पर हस्ताक्षर हुए जिससे तीनों देशों के बीच ज़मीनी व्यापार को बढ़ाने में सहयोग और भारत को क्षेत्र में सामरिक व्यापारिक लाभ मिलेगा।
यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी और अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद हुआ। अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति सोमवार सवेरे तेहरान आए थे जबकि प्रधानमंत्री मोदी अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर रविवार को तेहरान पहुंचे थे। यह समझौता तीनों देशों के नेताओं प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति घनी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की मौजूदगी में हुआ। भारत की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने किये ।
प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर को एक ‘ऐतिहासिक मौका’ बताते हुए कहा इस समझौते से तीनों देशों के बीच आपस में जुड़ने के लिए नए रास्ते खुल जाएंगे। उन्होंने कहा यह त्रिपक्षीय परिवहन और ट्रांजिट कॉरिडोर क्षेत्रीय लोगों के लिए शांति और समृद्धि का एक रास्ता होगा जिससे तीनों देशों में आर्थिक प्रगति की संभावनाएं बढ़ेंगी।
उन्होंने कहा यह त्रिपक्षीय समझौता तीनों देशों को ‘कट्टरपंथ पर अंकुश लगाने, आतंक के साये को दूर करने और लोगों के बीच अपनेपन की मिठास’ का प्रसार करेगा। इस समझौते से तीनों देशों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी की अनिवार्यता महसूस करने के लिए शांति की स्थापना और आर्थिक समृद्धि का निर्माण होगा।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति घनी ने विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक विषयों पर चर्चा की। आतंकवाद से लड़ाई का मुद्दा विशेष रूप से चर्चा में आया। इससे पहले भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा। इस समझौते से भारत अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, रूस और और मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ा सकता है। यह दोनों समझौते पूरे क्षेत्र में भारत अपने व्यापार को बढ़ा सकता है।
चाबहार समझौते के विषय में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा यह व्यापार और भारत में निवेश को बढ़ावा देगा और युवावों के लिए रोज़गार प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा त्रिपक्षीय परिवहन और ट्रांजिट कॉरिडोर पूरे क्षेत्र का इतिहास बदल सकता है। उन्होंने कहा यह तीनों देशों को करीब लाने के लिए एक ‘नींव’ है जो पूरे क्षेत्र में व्यापार बिना किसी रुकावट के संभव कर सकता है।
इससे चाबहार बंदरगाह में नई टेक्नोलॉजी और नए औद्योगिक बुनियादी ढांचे को बनने में सहायता मिलेगी जिनमें गैस आधारित उर्वरक संयंत्रों, पेट्रो रसायन, फार्मास्यूटिकल्स और आई टी जैसे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा । इस कॉरिडोर के मुख्य रास्ते ईरान के चाबहार बंदरगाह से होकर जाएंगे। यह ओमान की खाड़ी में एक ऐसा स्थान है जिसका बड़ा सामरिक महत्व है।
अफ़ग़ानिस्तान को भी बाक़ी देशों के साथ व्यापार करने का एक आश्वस्त मार्ग मिल जाएगा। इसका आर्थिक महत्त्व केवेल इन तीन देशों तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि मध्य एशिया तक और उससे भी आगे पहुंच जाएगा। यदि इसे अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के साथ जोड़ा जाए तो इसका एक छोर यूरोप के किसी देश और दक्षिण एशिया को छू जाएगा।