संयुक्त राष्ट्र। भारत ने अपने ही हाथों आतंकवादी संगठन घोषित किए गए समूहों के नेताओं को प्रतिबंधित करने में महीनों लगाने पर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तीखी आलोचना की है।
उसका यह एतराज पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिश को ‘तकनीकी आधार पर’ खटाई में डालने पर था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कल यह कहते हुए आतंकवादी संगठनों के नेताओं पर प्रतिबंध लगाने में विफलता पर परिषद को लताड़ते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद अपने ही ‘समय के जाल और सियासत’ में फंस गई है।
अकबरूद्दीन ने सुरक्षा परिषद के समतामूलक प्रतिनिधित्व और सदस्यता में वृद्धि पर आयोजित एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘जहां हर दिन इस या उस क्षेत्र में आतंकवादी हमारी सामूहिक अंतरात्मा आहत करते हैं, सुरक्षा परिषद ने इसपर विचार करने में नौ माह लगाए कि क्या अपने ही हाथों आतंकवादी इकाई करार दिए गए संगठनों के नेताओं पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं।’
इस से पहले, इसी साल चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अजहर को आतंकवादी ठहराने के भारत के कदम पर ‘तकनीकी स्थगन’ लगा दिया था। तकनीकी स्थगन की छह माह की मुद्दत देर सितंबर में खत्म हो गई थी और चीन ने तीन माह का एक दूसरा स्थगन चाहा था।
भारतीय राजनयिक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर कछुए की चाल से चलने वाली ‘चर्चा के अंतहीन सिलसिले’ पर अफसोस जताया और कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात के प्रति ‘बेरूख’ विश्व निकाय में तुरंत सुधार के लिए ‘गतिरोध भंग करने का यह वक्त है।’
अकबरूद्दीन ने रेखांकित किया कि इस साल मानवीय स्थितियों, आतंकवादी खतरों और शांतिरक्षण की समस्याओं के प्रति कदम उठाने में अक्षमता अहम मामलों में प्रगति करने में विश्व समुदाय की कमी की कीमत का हिस्सा हैं जिसे चुकाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘सीरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम मुद्दों और दक्षिण सूडान जैसे शांतिरक्षण संकट जैसे अन्य हालात से निबटने में हमने खंडित कार्रवाई देखी जिन्हें सहमति के महीनों बाद भी लागू नहीं किया गया।’
भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘कहा जा सकता है कि समय और सियासत के अपने ही जाल में उलझी सुरक्षा परिषद तदर्थवाद और राजनीतिक पंगुता के आधार पर जैसे तैसे काम कर रही है।’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार पर चर्चाओं का अंतहीन सिलसिले से अंतरराष्ट्रीय समुदाय अचंभित है क्योंकि इसके महत्व और तात्कालिकता के बावजू सुरक्षा परिषद के अहम सुधार में देर की जा रही है।
अकबरूद्दीन ने कहा, ‘सत्तर साल पहले तय की गई इसकी सदस्यता, खास कर स्थाई श्रेणी में प्रतिनिधित्व की कमी इसकी वैधता और साख की कमी में इजाफा करती है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि मौजूदा संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष पीटर थामसन के कार्यकाल में सुधार को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया होगी।
https://www.sabguru.com/europe-south-africa-seven-indian-embassy-website-hacked/
https://www.sabguru.com/pakistan-army-chief-endorses-death-sentence-9-militants/
https://www.sabguru.com/hafiz-saeed-threatens-india-for-surgical-strike/
https://www.sabguru.com/nat-geos-afghan-girl-sharbat-gula-sentenced-15-days-jail-fined/