नई दिल्ली। कारोबारी आशावाद के मामले में भारत अपनी बढ़त कायम नहीं रख सका। लगातार दो तिमाही तक शीर्ष स्थान पर रहने के बाद अप्रैल-जून की तिमाही में भारत इस मामले में तीसरे स्थान पर खिसक गया है।
बाजार अध्ययन कंपनी ग्रांट थॉर्नटन शु्क्रवार को जारी अंतर्राष्ट्रीय कारोबार रिपोर्ट (आईबीआर) में यह बात सामने आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे अहम सुधारों में देरी, कर विवादों का समाधान नहीं हो पाने तथा बैंकों पर बढ़ती गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के बोझ के कारण उनके भविष्य के प्रति आशंका एवं सार्वजनिक बैंकों के पुन: पूंजीकरण की जरूरत के मद्देनजर भारत को लेकर कारोबारियों का विश्वास कमजोर हुआ है।
कंपनी ने यह रिपोर्ट 36 देशों की 2,500 कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत करके सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई है। इसमें कहा गया है कि ओवरऑल कारोबारी विश्वास में भारत भले शीर्ष से दो स्थान नीचे उतर गया है, लेकिन राजस्व वृद्धि के मामले में यह शीर्ष पर बना हुआ है।
सर्वेक्षण के 96 प्रतिशत प्रतिभागियों का मानना है कि राजस्व में बढ़ोतरी होगी। इसमें उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के भी संकेत मिले हैं। इस मामले में भारत जनवरी मार्च के तीसरे स्थान से एक पायदान चढ़कर दूसरे पायदान पर पहुंच गया है।
रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद के मामले में यह शीर्ष स्थान से खिसककर दूसरे तथा मुनाफा बढ़ने की आशावादिता में तीसरे से एक स्थान गिरकर चौथे पायदान पर आ गया है।