नई दिल्ली। नौसेना के लिए स्वदेशी विमानवाहक पोत बनाने के बाद अब भारत अत्याधुनिक पनडुब्बी बनाने की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है और स्वदेशी पनडुब्बी बनाने का काम अगले दो साल में शुरू हो जाएगा।
नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल पी मुरूगेसन ने मंगलवार को कहा कि नौसेना अलग-अलग श्रेणी के पोत और अन्य उपकरणों के निर्माण में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। नौसेना देश में ही अत्याधुनिक पनडुब्बी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि पनडुब्बी निर्माण के लिए विभिन्न शिपयार्डों का मूल्यांकन करने वाली समिति ने रक्षा मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। एक बार शिपयार्ड का चयन होने के बाद विभिन्न एजेन्सियों से प्रस्ताव मांगे जाएंगे। इस प्रक्रिया में दो वर्ष का समय लग सकता है जिसके बाद पहली पनडुब्बी बनाने का काम शुरू हो जाएगा।
वाइस एडमिरल ने हालाकि यह नहीं बताया गया कि मूल्यांकन समिति ने कितने शिपयार्डों को पनडुब्बी बनाने में सक्षम पाया है हालांकि उन्होंने कहा कि इनकी संख्या एक से अधिक हो सकती है। ये शिपयार्ड घरेलु और विदेशी कंपनियों के सहयोग से देश में ही पनडुब्बी बनायेंगे।
सरकार ने नौसेना के लिए लगभग 64 हजार करोड़ रुपए की लागत से पनडुब्बी निर्माण की पी- 75आई परियोजना को मंजूरी दी है। नौसेना के पास अभी 13 पुरानी पारंपरिक पनडुब्बियों के अलावा एक परमाणु पनडुब्बी अकुला -2 है।
इसके अलावा विदेशी सहयोग से मझगांव डाक लिमिटेड 6 स्कोर्पिन पनडुब्बी बनायी जा रही हैं। नौसेना के लिए बैलिस्टिक मिसाइल से लैस पहली पनडुब्बी अरिहंत के अभी समुद्री परीक्षण किए जा रहे हैं।