नई दिल्ली/नोएडा। प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर यश पाल का नोएडा स्थित उनके आवास में निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। उनके पारिवारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि यशपाल का निधन सोमवार देर रात हुआ।
उनका जन्म 1926 में झंग (अब पाकिस्तान) में हुआ था और वह कैथल में पले-बढ़े थे, जो अब हरियाणा में है।
कॉस्मिक किरणों के अध्ययन में अपने योगदान के लिए मशहूर यशपाल ने 1949 में पंजाब विश्वविद्यालय से भौतिकी में मास्टर्स की हासिल की थी। उन्होंने 1958 में मासाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी।
विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए 1976 में वह पद्म भूषण से नवाजे गए थे। लोक प्रशासन, शिक्षा और प्रबंधन में उत्कृष्ट काम के लिए अक्टूबर 2011 में उन्हें लाल बहादुर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
मोदी ने प्रोफेसर यशपाल के निधन पर शोक जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोफेसर यशपाल के निधन पर मंगलवार को शोक जताया और कहा कि देश ने एक मेधावी वैज्ञानिक और शिक्षाविद् खो दिया है। मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि प्रोफेसर यशपाल के निधन से दुखी हूं। हमने एक मेधावी वैज्ञानिक और शिक्षाविद् खो दिया है, जिन्होंने भारतीय शिक्षा में चिरस्थायी योगदान दिया है।
मोदी ने प्रख्यात वैज्ञानिक के साथ अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि गुजरात में 2009 में राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस सहित कई अवसरों पर प्रोफेसर यशपाल के साथ विस्तार से बातें की थी।
कांग्रेस पार्टी ने भी यशपाल के निधन पर शोक जताया और कहा कि हम पद्मविभूषण प्रोफेसर यशपाल के निधन पर शोक जताते हैं। शिक्षा वास्तविक जीवन के अनुभव, अवलोकन और घटनाओं पर आधारित होनी चाहिए। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रोफेसर के निधन को राष्ट्र के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया।
गांधी ने कहा कि एक वैज्ञानिक और एक जुनूनी शिक्षक, जिन्होंने शिक्षा के वास्तविक मूल्य को समझा..प्रोफेसर यशपाल का निधन हम सभी के लिए बहुत बड़ी क्षति है।
विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए 1976 में वह पद्मभूषण से नवाजे गए थे और 2013 में पद्मविभूषण से भी सम्मानित किए गए।
लोक प्रशासन, शिक्षा और प्रबंधन में उत्कृष्ट काम के लिए अक्टूबर 2011 में उन्हें लाल बहादुर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कॉस्मिक किरणों के अध्ययन में अपने योगदान के लिए मशहूर यशपाल ने 1949 में पंजाब विश्वविद्यालय से भौतिकी में परास्नातक की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने 1958 में मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी।