नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को संसद परिसर में इलेक्ट्रिक बस (ई-बस) को हरी झंडी दिखाई। इस ई-बस का उद्देश्य राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोकना है।
इस मौके पर केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सहित कई सांसद उपस्थित थे। इन बसों का इस्तेमाल सांसद संसद आने-जाने के लिए करेंगे।
सोमवार को संसद भवन परिसर में ई-बस को हरी झड़ी दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पेरिस में हुए कॉप-21 सम्मेलन के दौरान वैश्विक नेताओं ने एकसाथ आते हुए ‘ऊर्जा नवाचार’ पर फोकस किया था।
सम्मेलन के दौरान सौर गठबंधन बनाए जाने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सांसदों को ई-बस दिए जाने के अपने वादे को याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बस से न कोई शोर उत्पन्न होता है, न ही कोई प्रदूषण। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर सकता है।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए ऐसी और पंद्रह बसें और चलाई जाएगी। बाद में योजना को देश के अन्य शहरों में भी लागू की जाएगी।
गडकरी के अनुसार राजधानी दिल्ली में सांसद इन्हीं बसों से संसद तक आया-जाया करेंगे। इसमें वही लीथियम आयन बैट्री लगी हैं, जो इसरो सैटेलाइट में इस्तेमाल करता है। इसरो ने मंत्रालय के साथ मिलकर ऐसी पांच बैट्री बनाई हैं। एक की कीमत 5 लाख रुपए है। यदि इसका आयात किया जाए तो यह बैटरी 55 लाख रुपए की पड़ती है।
इसरो के वैज्ञानिकों ने मंत्रालय और अन्य इकाइयों के साथ सहयोग कर इस बैटरी का विकास किया है, जोकि प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के अनुरूप है। ऐसे वाहनों को वाणिज्यिक रूप दिया जाएगा और पेंटेट पंजीकृत कराए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि पायलट परियोजनाओं के तहत शुरुआत में दिल्ली में ऐसी 15 बसें चलाने की योजना है। ऐसी बसों को अन्य शहरों की सड़कों पर भी उतारा जाएगा क्योंकि प्रदूषण एक मुद्दा है, जिससे सरकार काफी चिंतित है। सरकार की योजना है कि डीजल पर चलने वाली 1.5 लाख बसों को इलेक्ट्रिक में बदल दिया जाए।
जानकारी हो कि इन ई-बसों में लीथियम आयरन बैटरी लगी है जो कि वायु को कम प्रदूषित करती है। इन बसों का इस्तेमाल सांसद संसद आने-जाने के लिए करेंगे।