बीजिंग। चीन ने सोमवार को कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में प्रवेश करने के लिए भारत का आवेदन अधिक जटिल हो गया है, जो यह दर्शाता है कि यह अपनी पिछली स्थिति से आगे नहीं बढ़ा है।
चीन के सहायक विदेश मंत्री ली हुआई ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह पर नई परिस्थितियों में एक नया मुद्दा है और यह पहले की कल्पना की तुलना में अधिक जटिल है। उन्होंने हालांकि इस दौरान ‘जटिल’ शब्द की व्याख्या नहीं की।
उन्होंने कहा कि चीन गैर-भेदभावपूर्ण और वैश्विक रूप से लागू समाधान तक पहुंचने के लिए एनएसजी के परामर्श का समर्थन करता है, जो सभी सदस्यों पर लागू होता है।
पिछले महीने चीन ने कहा था कि एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है, जो यह संकेत देता है कि वह अगले महीने स्विटजरलैंड के बर्न में होने वाले सत्र में नई दिल्ली की याचिका को फिर से रद्द करने की कोशिश करेगा।
दक्षिण कोरिया के सियोल में जून 2016 में एनएसजी के पूर्ण सत्र में चीन ने भारत के आवेदन का विरोध किया था और नवंबर में परामर्शी समूह की बैठक में भारत की दावेदारी को फिर से रोक दिया था।
वैश्विक परमाणु व्यापार को नियंत्रित करने वाले 48 सदस्यीय इस कुलीन समूह की पूर्ण बैठक स्विट्जरलैंड के बर्न में इस महीने में होने की संभावना है।
भारत की दावेदारी को अमरीका और अन्य सदस्यों द्वारा समर्थन मिला है, लेकिन चीन परमाणु अप्रसार संधि में भारत की स्थिति का हवाला देते हुए इसके प्रवेश का विरोध करता है।