इलाहाबाद। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जन्मदिन पर होने वाली मैराथन दौड़ में गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ।
बदइंतजामी और पक्षपात से नाराज धावकों ने दौड़ को बीच में ही छोड़कर कई जगहों पर सड़क जाम कर दिया। साथ ही गाडि़यों को रोककर जमकर तोड़फाड़ की। इस दौरान धावकों और पुलिस में तीखी भी झड़प हुई। आरोप है कि यूपी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री की अनदेखी करने के लिए जानबूझकर ऐसे हालात पैदा किए।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, यूपी सरकार का खेल विभाग 1985 से हर साल इंदिरा गांधी के जन्मदिन के मौके पर उनकी जन्मस्थली इलाहाबाद में आनंद भवन से नेशनल लेवल की मैराथन दौड का आयोजन करता है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की इस मैराथन में देश के हजारों नामी एथलीट हिस्सा लेते हैं। इसमें कई कैटेगरीज में क्रॉस कंट्री और बुजुर्गों के लिए अलग दौड़ होती है।
आरोप है कि गुरुवार को ये मैराथन तय वक्त पर तो शुरू की गई, लेकिन इसमें हर जगह बदइंतजामी और लापरवाही दिखाई दी। इससे गुस्साए धावकों ने कई जगहों पर धावकों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान धावकों ने ट्रैफिक का सही इंतजाम न होने और पक्षपात होने का आरोप लगाया।
धावकों ने की मारपीट
दौड़ के पर्याप्त सुविधाएं न मिलने से नाराज धावकों ने कई जगहों पर चक्का जामकर नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने होर्डिंग्स व गाडि़यों में भी तोड़फोड़ की और स्टेडियम में घुसकर आयोजकों पर डंडे बरसाए।
साथही पुलिस पर भी पथराव किया। इसके बाद हालात को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठियां भी चलानी पड़ीं। काफी देरतक चले हंगामे के बाद किसी तरह मैराथन पूरी हो सकी।
बता दें कि यूपी सरकार ने इस मैराथन को लेकर अखबारों में जो विज्ञापन जारी किया था, उसमें न तो इंदिरा गांधी का नाम था और न ही उनकी कोई फोटो। इतना ही नहीं, मैराथन के टाइटल से भी इंदिरा गांधी का नाम गायब कर दिया गया था।