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पत्नी को धोखे में रख 'बहन' से बनाए शारीरिक संबंध, 1 साल सजा - Sabguru News
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पत्नी को धोखे में रख ‘बहन’ से बनाए शारीरिक संबंध, 1 साल सजा

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पत्नी को धोखे में रख ‘बहन’ से बनाए शारीरिक संबंध, 1 साल सजा
Indore : Former MP representative gets one year rigorous imprisonment
Indore : Former MP representative gets one year rigorous imprisonment
Indore : Former MP representative gets one year rigorous imprisonment

इंदौर। अपनी पत्नी के जीवित होने तथा अन्य पत्नी से संबंध बनाकर संतान को जन्म देने पर सांसद के पूर्व प्रतिनिधि भाजपा से निष्कासित जिलाबदर बदमाश को न्यायालय ने धारा 497 का दोषी मानते हुए एक साल के सश्रम कारावास व 1000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।

भाजपा से निगम चुनाव के समय निष्कासित किए गए सांसद के पूर्व प्रतिनिधि थाना बाणगंगा क्षेत्र के जिलाबदर बदमाश जीतू उर्फ जितेन्द्र पिता अमृतलाल मलोरिया को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पारस कुमार जैन ने आप्रक 10388/11 में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए 1 मार्च को अपनी पत्नी के जीवित होने के बाद भी अन्य की पत्नी से संबंध बनाकर उससे संतान को जन्म देने का दोषी माना है।

याचिकाकर्ता देवेन्द्र पिता रामअवतार की ओर से पैरवी कर रहे अभिभाषक राजू राठौर ने बताया कि जीतू ने सन 2008 में देवेन्द्र के साथ विश्वास जमाकर घर आना-जाना शुरू किया और उसकी पत्नी को बहन बनाकर गुमराह करने का प्रयास किया।

बहन बनकर रह रहे दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने जिसकी जानकरी मिलने के बाद हुए विवाद के बाद आरोपी जीतू को घर आना-जाना बंद करा दिया। जीतू इस बात से गुस्सा हो गया और उसने धमकी दी। मामले की शिकायत पुलिस में करने पर पुलिस ने जीतू की राजनीतिक पैठ के चलते आवेदन तक लेने से इंकार कर दिया।

14 जुलाई 2007 को वह देवेन्द्र की पत्नी को बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया तभी से उसे अपनी पत्नी बनाकर रखा। सन 2009 में दोनों की एक संतान भी हुई। मामले में पुलिस के कायमी कर कार्रवाई नहीं करने के चलते मजबूरन देवेन्द्र को न्यायालय की शरण लेना पड़ी और उसने सन 2011 में याचिका दायर कर धारा 497 व 294 के साथ धारा 313 क के तहत याचिका दायर की।

न्यायाधिश ने मामले की सुनवाई करते हुए जब आरोपी से बयान लिए तो उसने धारा 497 के आरोपो को नहीं माना। साक्ष्य व गवाहों के बयान के आधार पर न्यायाधिश जैन ने पाया कि आरोपी जीतू यह जानते हुए यह विश्वास करने का कारण रखते हुए किसी की पत्नी होने की जानकारी पर भी महिला के साथ 14 जुलाई 2008 से लगातार परिवादी की संपत्ति या मोनाकूलता के बिना अपराध किया है।

संतान उत्पन्न होने पर उसने स्वयं ही अस्पताल में पिता की जगह अपना नाम लिखवाया जो नगर निगम में दर्ज होना पाया गया। अभिभाषक राठौर ने बताया कि प्रकरण में सामने आए साक्ष्य के बाद आरोपी ने अपराध को नहीं माना किन्तु उसने कई गलत जानकारियां देकर न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास भी किया।

राठौर के अनुसार वरिष्ठ न्यायाधीश जैन ने मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए जीतू को धारा 497 का दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। उनके निर्णय के अनुसार यह ऐसा अपराध है जिससे सीधे समाज पर प्रभाव पड़ता है।