इंदौर। इंसानों के लिए भारत में इच्छा मृत्यु की अनुमति भले न मिल पाई हो मगर इंदौर के चिड़ियाघर में बीते दो वर्षों से लकवाग्रस्त सोनू नाम के भालू को शनिवार को दयामृत्यु दे दी गई है।
मध्यप्रदेश के इतिहास में इच्छा मृत्यु का यह पहला मामला है, चिड़ियाघर परिसर में ही सोनू का अंतिम संस्कार किया गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान जानवरों की सुरक्षा के लिए बनाई गई संस्था पेटा के सदस्य भी शामिल रहे, जिन्होंने सोनू की हालत देखकर उसे इच्छा मृत्यु देने के लिए अपनी सहमति दी।
बताया गया है कि कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में पिछले ढाई साल से बेहद तकलीफ़ भरी ज़िंदगी बिता रहा सोनू नाम के भालू की आयु 33 वर्ष हो चुकी थी, मगर लकवाग्रस्त हो जाने के कारण वह हिलडुल तक नहीं सकता। वह खाना भी आसानी से नहीं खा सकता थी।
चिड़ियाघर के अधिकारी उत्तम यादव ने शुक्रवार को बताया कि काफी इलाज के बाद भी उसकी हालत बिगड़ती ही गई। उसकी हालत देखकर चिड़ियाघर प्रबंधन और उसकी सेवा में लगे स्टाफ की सलाह पर करीब दो माह पूर्व चिड़ियाघर प्रबंधन ने सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी के पास दया याचिका लगाकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण को दिए गए आवेदन के आधार पर सोनू को दयामृत्यु दिए जाने को मंजूरी मिल गई। शनिवार को एक इंजेक्शन के जरिए विशेषज्ञों द्वारा गहरी नींद में सुला दिया गया।