![उरी आतंकी हमले का सिंधु जल संधि पर पड़ सकता है असर उरी आतंकी हमले का सिंधु जल संधि पर पड़ सकता है असर](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2016/09/indu.jpg)
![Indus Waters Treaty between india, pakistan survived two wars](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2016/09/indu.jpg)
नई दिल्ली। उरी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव के चलते अब 1960 में हुई सिंधु जल संधि पर भी खतरा मंडराता नज़र आ रहा है।
विदेश मंत्रालय के एक बयान से स्पष्ट है कि सीमा-पार आतंकवाद को लेकर भारत पाकिस्तान को कड़ा संदेश दे सकता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने गुरुवार को एक सवाल के जवाब में कहा था, “ऐसी किसी संधि पर काम के लिए यह महत्वपूर्ण है कि दोनों पक्षों के बीच परस्पर सहयोग और विश्वास होना चाहिए।
संधि की प्रस्तावना में ही इस बात का उल्लेख है कि यह ‘सदभावना’ पर आधारित है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने समझौते को समाप्त करने संबंधी कोई बात नहीं कही है।
जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर के सेना के आधार शिविर पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत में पाकिस्तान के साथ जल बंटवारे से जुड़े समझौते को खत्म करने की मांगे उठ रही है।
सन् 1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान एक अलग इस्लामिक राष्ट्र बना था। बंटवारे में सिंधु नदी का उद्गम क्षेत्र भारतीय सीमा में रह गया, लेकिन नदी के बेसिन का बड़ा हिस्सा नए बने देश पाकिस्तान में चला गया।
इसको लेकर दोनों देशों के बीच हुई संधि के तहत पंजाब से बहने वाली तीन ‘पूर्वी’ नदियों ब्यास, रावी, सतलुज भारत के और जम्मू-कश्मीर से बहने वाली तीन ‘पश्चिमी’ नदियां सिंधु, चिनाब और झेलम पाकिस्तान के हिस्से में आई।
लंबी बातचीत के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने सितंबर 1960 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसे दुनिया की सबसे सफल एवं उदार जल साझेदारी वाली संधि कहा जाता है।
संधि ने पाकिस्तान के लिए तीन सबसे बड़ी नदियों को सुरक्षित कर दिया था। सिंधु नदी के कुल पानी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान के खाते में चला गया और सिर्फ 19.48 प्रतिशत ही भारत के हिस्से में आया।
इसके बावजूद पाकिस्तान यह शिकायत करता आ रहा है कि उसे पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है और वह कुछ मामलों में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए भी आगे गया है। भारत इस संधि के तहत पाकिस्तान को लगातार अपने हिस्से का पानी दे रहा है।
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान अपनी सीमा से भारत में आतंकवाद निर्यात कर रहा है। इसके अलावा कश्मीर में हिंसा एवं तनाव की स्थिति पैदा करने में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका भी सामने आई है।
जिस देश से नदी निकलती है उस देश को पानी के बहाव वाले देश के पक्ष में अपना हक त्यागने को बाध्य करती है। इसके विपरीत चीन का अपने यहां से निकलने वाली नदियों के पानी पर पूरा प्रभुत्व है।
वह खुलेआम यह कह भी चुका है कि उसका अपने यहां से निकलने वाली नदियों के पानी पर पूर्ण अधिकार है। इस कारण ही चीन ने अपने 13 पड़ोसी देशों के साथ जल साझेदारी का कोई समझौता नहीं किया।
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