प्रशान्त झा
भारत ने बडे ही गोपनीय ढंग से अपनी पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहन्त को भारतीय नौसेना के बेडे में शामिल कर लिया है।
परमाणु पनडुब्बी का बेडे में होने का मतलब है पानी में चलता फिरता एक एैसा हथियार जो देश की धरा पर होने वाले परमाणु हमले की स्थिति में भी देश को सैकेण्ड स्ट्राईक कर शत्रु को नेस्तनाबूद करने की क्षमता देता है।
अरिहन्त तो शत्रु के खेमे में खौफ की महज शुरूआत है क्योंकी यह अरिहन्त सीरीज की पहली पनडुब्बी है जिसके बाद दो और पण्डुब्बीयाँ बनाई जानी हैं।
अरिहन्त श्रंखला की दूसरी और इससे ज्यादा बडी और अधिक ताकतवर पनडुब्बी अरिदमन का निर्माण कार्य विशाखापट्टनम में चल रहा है जो अपने अन्तिम चरण में है।
यह अपनी पूर्ववर्ती पनडुब्बी से बहुत अलग और आधुनिक होगी जिसका परमाणु रिएक्टर भी ज्यादा बडा और उन्नत होगा जो इसे अधिक शक्ति प्रदान करेगा। इसके वर्ष 2018 में जलावतरण की योजना है।
अरिहन्त में जहां 4 लान्च ट्यूब हैं वहीं अरिदमन में 8 लान्च ट्यूब हैं जो इसे दोगुने परमाणु मिसाइल ले जाने और दागने की क्षमता देते हैं।
यह अरिदमन को 24 के—15 सागरिका कम दूरी के एस.एल.बी.एम. मिसाइल अथवा 8 के—4 मध्यम दूरी के एस.एल.बी.एम. मिसाइल ले जाने की क्षमता प्रदान करता है।
अरिदमन को और अधिक घातक बनाने के लिए इसपर विकासरत के—5 एसएलबीएम मिसाइल को तैनात किए जाने की योजना है।
के—5 5500 किमी से अधिक रेंज तक मार करने में सक्षम होगी जो अधिकतम 8000 किमी दूरी तक मार कर सकेगी। इस प्रकार इस पर तैनात के—15 1500 किमी, के—4 3500 कि.मी. और के—5 5500+ कि.मी. दूरी की रेंज की परमाणु क्षमता वाली मिसाइलें इसके मुख्य हथियार होंगी जो इसे पानी की गहराई में छिप कर दुश्मन की नीदें उडाने की ताकत देंगी।
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