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14वां अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन आबूरोड में संपन्न

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14वां अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन आबूरोड में संपन्न
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आबूरोड। सृजनागाथा डॉट काम रायपुर की संस्था द्वारा आयोजित 14वां अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी समेलन ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में आयोजित हिन्दी समेलन में देशभर के चुनिन्दा सहित्यकार शामिल हुए। जिसमें सिरोही ईटीवी के संवाददाता शरद टाक को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उत्कृष्ट कार्य करने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  सृजनश्री समान से नवाजा गया।

‘ब्रह्म कुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय तथा सृजनगाथा डॉट कॉम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित संगोष्ठी के अंतर्गत देश भर के बुद्धिजीवी, संपादक, पत्रकार और साहित्यकार ‘साहित्य और विरासत विषय पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में अपनी बात रखी। समेलन का अनौपचारिक उद्घाटन विश्वविद्यालय के प्रमुख बीके मृत्युंजय अध्यक्षता हुआ।
सिरोही ईटीवी के संवाददाता शरद टाक को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उत्कृष्ट कार्य करने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सृजनश्री समान से नवाजा गया। आगामी अप्रेल 2018  में रूस में प्रस्तावित 15 वें अंतरराष्ट्रीय समेलन में टाक द्वारा लिखी “मीडिया का बदलता स्वरूप” पुस्तक का विमोचन होगा।
इसके अलावा जोधपुर की कवियत्री किरण राजपुरोहित नितिला व आबूरोड के जनसंपर्क सेवा के क्षेत्र में बीके कोमल को अंतरराष्ट्रीय समान मिला। इस अवसर पर सृजनगाथा डॉट काम सांस्कृतिक संस्थान द्वारा समाज सेवा में उत्कृष्ट कार्य के लिए साानित किया गया।
साहित्य संस्कार, मूल्य और भाषा का संगम
इस समेलन में उपस्थित लोगों को सबोधित करते हुए अन्तरराष्ट्ीय हिन्दी समेलन के उपाध्यक्ष रंजना अरगड़े ने कहा कि साहित्य संस्कार, मूल्य और भाषा का संगम है। यदि संस्कार जीवन से समाप्त हो रहे है तो इसका मूल कारण साहित्य की ओर से विमुख होना है। वे ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन में आयोजित समेलन मे बोल रही थी।
उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को हिन्दी तथा साहित्य के प्रति प्रेरित करना चाहिए ताकि वे अपने माटी से जुड़े रहें। माता पिता के संस्कारों के लिए जिमेदार ना होना साहित्य और संस्कार को भूलना है। ब्रह्माकुमारीज संस्था की तारीफ करते हुए कहा कि यहॉं संस्कारों और शक्ति का सं”म सहज देखने को मिलता है।
ब्रह्माकुमारीज संस्था के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने कहा कि साहित्य और संस्कारों के बल ही हमारा देश आज विश्व का सिरमौर बना पाया है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने इसे सहेजते हुए इसे बरकरार रखा है। परमात्मा शिव ने भी हमेशा हिन्दी का ही प्रयो” कर स्वर्णिम भारत बनाने की नींव रखी। शांतिवन के मुय अभियन्ता बीके भरत ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सृजनगाथा डॉटकाम संस्था का यह प्रयास निश्चित तौर पर सराहनीय है। इससे हिन्दी भाषा को बढ़ावा मिलेगा। जिससे समाज में एक सकारात्मक संदेश जाये।
भारत की धरोहर है संस्कृति और सयता
इस अवसर पर अजमेर आश्रम मठाधीश के स्वामी शिव योतिषानन्द ने कहा कि भारत की धरोहर संस्कृति और सयता है। इससे ही भारत देश में हमेशा मूल्यों की पराकाष्ठा रही है। हमारे देश में संस्कृति की विरासत को बनाये रखना बड़ी चुनौती है। इसमें पहल करने की जरुरत है। मारवाड़ रत्न से समानित अजमेर के वरिष्ठ साहित्यकार देवकृष्ण पुरोहित ने कहा कि हमारा प्रयास है कि आज की पीढ़ी को संस्कारों से ओत प्रोत करते हुए साहित्य के प्रति जागरुक बनाये। इसी प्रयास के तहत आज यहॉं आयोजन हुआ है।
विरासत के प्रति सजग रहना जरूरी
लखनउ के पूर्व उपनिदेशक डॉ सुधाकर अदीब ने कहा कि भारत देश में साहित्य और विरासत हर किसी को इसके प्रति सजग होने की जरुरत है। यदि हम इसके प्रति जागरुक नहीं होंगे। तब हमारा संस्कार समाप्त हो जायेगा।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार हेचन्द्र सकलानी, केन्द्रिय कृषि विश्वविद्यालय के डॉ नवल किशोर चौधरी, आबू रोड पालिका चेयरमैन सुरेश सिंदल जयप्रकाश मानस, प्रगति मानस रथ, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, डॉ विदुषी अमेटा, गिरिश जोशी, रेणुका, प्रो् राजेश्वर आनदेव , किरण रापुरोहित समेत कई लोगों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये।
प्रस्तुतियों से बाधा समा
सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना अनुराधा दुबे ने करीब आधे घंटे तक परमात्मा शिव की अनेक भंगिमाओं पर कथक नृत्य कर लोगों को भाव विभोर कर दिया। लोगों ने खुलकर तालियां बजायी तथा उत्साहवर्धन किया।