जयपुर/झुंझुनू। झुंझुनू जिले के बिसाऊ के रहने वाले अमित कुमार ने जयपुर की रहने वाली दूसरी जाति की लडक़ी विजयता के साथ 2013 में शादी की थी। इसके बाद दंपती ने सरकार की अंतर जातीय विवाह योजना का लाभ लिया और ढ़ाई लाख रुपए कैश और ढ़ाई लाख रुपए की एफडी करवा ली।
इसके कुछ समय बाद दंपती की शिकायत की गई कि विजयता अमित से शादी करने से पहले से ही ना केवल विवाहित है। बल्कि उसके आठ साल की बेटी भी है। जबकि योजना का लाभ लेने के लिए दंपती में कोई भी पहले से विवाहित नहीं होना चाहिए।
उन्होंने योजना का लाभ लेने के लिए इस तथ्य को छुपाया और सरकार से पैसे ले लिए। शिकायत की जांच पर जब शिकायत सही पाई गई तो सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने दंपती को बुलाया। अमित कार्यालय पहुंचा तो उसने विभाग को यह भी लिखकर दे दिया कि वह राशि लौटा देगा।
करीब डेढ़ साल पहले उसने यह लिखकर दिया और फिर वापस नहीं लौटा। लगातार बार-बार पत्र लिखकर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग थक गया तो अब कोतवाली में अमित और उसकी पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया है। जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी हैं।
लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि योजनाओं का लाभ लेने वाले लोग चक्कर काट काटकर परेशान हो जाते हैं और उन्हें योजना का लाभ नहीं मिलता और पांच लाख रुपए का लाभ लेने के लिए फर्जीवाड़े के आधार पर तैयार तथ्य को ध्यान में रखते हुए इतनी बड़ी रकम की सहायता दे दी जाती है।