नोएडा। जेपी अस्पताल में एक ऐसे बच्चे की जटिल सर्जरी की गई, जिसके पेट में एक पैर और एक हाथ सहित शरीर में आठ अंग थे। इस तरह इराक से आए सात महीने के नवजात शिशु को नई जिंदगी मिली है।
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विश्व भर में केवल पांच-छह बच्चों को ऐसी बीमारियां होती हैं। बच्चे का नाम करम है, जो इराक का रहने वाला है। जन्म से ही बच्चे के शरीर में हाथ और पैरों के रूप में अतिरिक्त चार अंग निकले हुए थे। इस बीमारी के साथ ही करम के हृदय, आंत एवं अंडकोष सहित अन्य अंगों में भी बीमारियां थीं।
जेपी अस्पताल के चार विभागों के संयुक्त प्रयास से बेहद जटिल ऑपरेशन सफल हुआ और करम के शरीर से अतिरिक्त अंगों को हटाकर उसे नई जिंदगी दी गई। खास बात यह है कि बच्चे को बीमारी से मुक्त करने के लिए छह महीने में तीन विभागों की टीम द्वारा अलग-अलग तीन सर्जरी की गई।
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इस बीमारी को ‘पोलीमेलिया’ कहते हैं। विश्व के चिकित्सा इतिहास में इस तरह के केवल पांच-छह मामले देखे गए हैं। अब तक ऐसे जितने भी मामले सामने आए हैं, उन सभी में करम की बीमारी अत्यधिक जटिल थी। उसके शरीर में जन्म से ही पेट एवं पैरों से हाथ-पैर जैसे अतिरिक्त चार अंग निकले हुए थे, जिसमें दो हाथ और एक पैर सामान्य बालक जैसे थे।
जेपी अस्पताल के ओथोर्पेडिक विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गौरव राठौर के अनुसार कि बच्चे के पिता स्वयं इराक के एक हॉस्पिटल में ईमरजेंसी विभाग में डॉक्टर हैं। उन्होंने अगस्त 2016 में उसे जेपी हॉस्पिटल में भर्ती कराया।
इलाज के प्रथम चरण के दौरान करम के सामान्य पैर के टेढ़ेपन को सर्जरी द्वारा ठीक किया गया। इसके साथ ही उसके पेट पर जन्मे दो अतिरिक्त अंगों को शरीर से हटाया गया। इसके बाद करम वापस इराक चला गया।
उन्होंने कहा कि अप्रेल 2017 में तीसरे चरण की सर्जरी में करम के दोनों अतिरिक्त पैरों को शरीर से हटाया गया। अब करम के पास सामान्य बालक की तरह केवल दो पैर शेष थे लेकिन इसमें भी उसका बायां पैर अविकसित होने के कारण बहुत पतला था।
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इसलिए जिन दो अतिरिक्त पैरों को शरीर से हटाया गया था, उनकी मांसपेशियों का अविकसित पैर में प्रत्यारोपण प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्शन विभाग के डॉ. आशीष राय के सहयोग से किया गया।
इसके साथ ही करम के कमर के टेढ़ेपन को सीधा किया गया। सिर्फ इस सर्जरी में करीब 7 से 8 घंटे का समय लगा। बीमारी इतनी जटिल थी कि उसे ठीक करने के लिए चिकित्सकों को नई चिकित्सा पद्धति का प्रयोग करना पड़ा।”
जेपी अस्पताल के बाल शल्य चिकित्सक डॉ. अभिषेक ने आगे बताया कि जब बच्चे को यहां लाया गया था तब उसके लिम्बस एवं आंत में विकृतियां थीं, साथ ही पेट में आंत घूमी हुई थी। गौर करने वाली बात यह है कि बच्चे के शरीर में केवल एक ही किडनी थी।
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उन्होंने बताया कि आंतों की विकृति को सर्जरी द्वारा ठीक किया गया। आंत के एक सिरे को दूसरे सिरे से जोड़ा गया। बच्चे के शरीर में दाईं तरफ सामान्य रूप से एक अंडकोष था जबकि बाईं तरफ पेट में दो अंडकोष थे जिसमें से एक को सर्जरी द्वारा पेट से बाहर किया गया और दूसरे को हटा दिया गया। इलाज के दौरान हृदय एवं आंत की बीमारी को भी ठीक किया गया। ईलाज में करीब छह से सात घंटे का समय लगा।
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