बगदाद । इराकी बलों ने इस्लामिक स्टेट ( आईएस) समूह के कब्जे वाले मोसुल को आजाद करवाने की लड़ाई शुरू कर दी है। अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन ने इस शहर के पूर्व में स्थित इराक के ऐतिहासिक निनेवे मैदानी इलाकों की सीमा से लगे कुछ गांवों में हवाई हमलों के साथ ही तोपखाने से भारी गोलेबारी शुरू कर दी है।
गौर हो कि इराक में 13 साल बाद सबसे बड़ी जंग लड़ी जा रही है। इराक में आईएस के खिलाफ आखिरी जंग में सेना की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। मोसुल को आईएस के कब्जे से छुड़ाने के लिए यह ऑपरेशन शुरू किया गया है। बताया जा रहा है कि मोसुल में इस समय करीब चार से पांच हजार आईएस के आतंकी मौजूद हैं। बता दें कि साल 2014 में आईएस ने मोसुल पर कब्जा किया था।
आक्रमण की शुरुआत सोमवार को इराक के कुर्द पेशमरगा लड़ाकों ने की थी। वे खुले इलाके में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। इलाका विस्फोटकों से भरा है जहां थोड़ी सी गलती जान ले सकती है। यहां से काले और भूरे रंग का धुंआ उठ रहा है। एक अभूतपूर्व अभियान की शुरूआत हो चुकी है जिसमें 25,000 से ज्यादा जवान जुटे हुए हैं और जिसे पूरा होने में कई हफ्तों का वक्त लग सकता है।
इराक के कुर्द क्षेत्र के राष्ट्रपति के मुताबिक दिन के अंत तक कुर्द बलों ने कुछ 200 वर्गकिमी के इलाके को अपने कब्जे में ले लिया था। पेशमेगरा कमांडरों का अनुमान है कि इस हमले में उन्होंने नौ गावों से आईएस को खदेड़ दिया है। इनमें से कुछ गांव बहुत छोटे हैं। कुछ जवान मोसुल की सीमा से 30 किमी से भी कम दूरी पर हैं।
हालांकि यह साफ नहीं है कि शहर तक पहुंचने में उन्हें कितना समय लगेगा। यह अभियान सफल रहता है तो यह इस्लामिक स्टेट समूह के लिए तगड़ा झटका होगा। बीते एक साल से इराकी बलों को कई सफलताएं हासिल हुई हैं और अब आईएस के नियंत्रण वाला इलाका पहले के मुकाबले आधे से भी कम रह गया है।
इस्लामिक स्टेट की स्वघोषित राजधानी मोसुल को इस आतंकी समूह के कब्जे से आजाद करवाने के लिए इराकी बलों ने सोमवार को अभियान शुरू किया। प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की जिसे अमेरिका ने जिहादी समूह को हराने की दिशा में ‘अहम कदम’ बताया।
शहर में 15 लाख लोग रहते हैं ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताते हुए कहा है कि इससे कहीं ज्यादा संख्या में मौजूद इस्लामी आतंकी देश में अपने अंतिम खास गढ़ पर आक्रमण के जवाब में नागरिकों का इस्तेमाल इंसानी ढाल के तौर पर कर सकते हैं। वहीं, इराकी बलों के मोसूल शहर से इस्लामिक स्टेट को खदेड़ने के अपने अभियान में आगे बढ़ने के साथ ही अमेरिका ने कहा है कि आतंकी समूह की स्व घोषित राजधानी से उसे बाहर करना एक महत्वपूर्ण रणनीतिक घटनाक्रम होगा।
इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल अब्दी ने मोसुल क्षेत्र के निवासियों को टेलीविजन के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि आज मैं इन विजयपूर्ण अभियानों की शुरूआत की घोषणा करता हूं जो आपको दाएश (आईएस) की हिंसा और आतंकवाद से मुक्त करवाएंगे। आईएस के लड़ाकों ने मोसुल पर दो साल पहले कब्जा कर लिया था।
इराक और सीरिया गृहयुद्ध में सत्ता शून्यता के दौर से गुजर रहे थे जिसका आतंकियों ने आसानी से फायदा उठाया। मोसुल के सैन्य बलों के कब्जे में आने से समूह का ‘खलीफा शासन’ चलाने का दावा कमजोर होगा और इसके अलावा इराक के कब्जा करने वाले बल के तौर पर उसका वजूद भी खत्म जो जाएगा।
आतंकी समूह को तब बड़ा झटका पहुंचा था जब सीरियाई बलों ने दाबिग शहर को उसके कब्जे से मुक्त करवा लिया था। अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन समेत आईएस विरोधी गठबंधन, इराकी सरकार के बल और कुर्द पेशमरगा लड़ाकों ने मोसुल के इर्द-गिर्द शिकंजा कस लिया है। शहर तक पहुंचने के लिए इन समूहों को आईएस के गढ़ों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ समूह अभी भी मोसुल से कई किमी दूर हैं।
जब वे वहां पहुंच जाएंगे तो यह लड़ाई उग्र रूप ले सकती है। संरा के मानवीय मामलों तथा आपदा राहत के उप महासचिव स्टीफन ओ ब्रायन ने कहा है कि शहर के नागरिकों को गंभीर खतरा है।
उन्होंने कहा कि मोसुल में रह रहे 15 लाख नागरिकों की सुरक्षा को लेकर मैं बहुत ज्यादा चिंतित हूं। शहर को आईएसआईएल के कब्जे से छुड़ाने के लिए होने वाले सैन्य अभियानों से वे प्रभावित हो सकते हैं। ओ ब्रायन ने एक वक्तव्य में कहा कि यह युद्ध की तीव्रता और इसके पैमाने पर निर्भर करेगा, हो सकता है कि दस लाख लोगों को ऐसे खराब हालात में अपने घरों को छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़े। उन्होंने कहा कि बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा जोखिम में हैं।