पटना। प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को रेलवे होटल ठेका मामले में कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के परिवार की पटना स्थित तीन एकड़ भूमि जब्त कर ली। सरकारी दर के अनुसार इस जमीन की कीमत करीब 44़ 7 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री व लालू-पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताते हुए पूछा है कि आखिर केंद्रीय जांच ब्यूरो इस मामले में आरोपपत्र क्यों दाखिल नहीं कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय के पटना क्षेत्रीय कार्यालय के सूत्रों के अनुसार मुखौटा कंपनी लारा प्रोजेक्ट से जुड़ी पटना की तीन एकड़ जमीन को जब्त करने के आदेश दिए गए हैं।
यह जमीन तेज प्रताप, राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव के नाम है। कुछ दिन पूर्व तक इस जमीन पर बिहार का सबसे बड़े मल का निर्माण कार्य चल रहा था।
तेजस्वी ने पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। केंद्रीय एजेंसी के ऊपर भी ‘ऊपर’ से दबाव है। इस कारण वह यह सब कर रही है।
उन्होंने दावा किया कि कुछ गलत हुआ ही नहीं, तब डरने का प्रश्न ही नहीं उठाता। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों के साथ हम सभी लोग सहयोग कर रहे हैं। यह पहले से ही उम्मीद थी कि जमीन जब्त होगी। आखिर इतने दिन गुजर जाने के बाद भी जांच एजेंसियां आरोपपत्र क्यों नहीं दाखिल कर पा रही हैं?
उल्लेखनीय है कि दो दिसंबर को ही राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से ईडी की एक टीम ने पटना क्षेत्रीय कार्यालय में लगभग सात घंटे पूछताछ की थी।
ईडी इस मामले में तेजस्वी यादव से 13 नवंबर और 10 अक्टूबर को दो बार पूछताछ कर चुकी है। ईडी तेजस्वी, उनके पिता लालू प्रसाद और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ धन-शोधन एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामले में अनियमितताओं की जांच कर रही है।
गौरतलब है कि ईडी ने पांच जुलाई को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज प्राथमिकी के तहत पीएमएलए के अंतर्गत एक मामला दर्ज किया था और फर्जी कंपनियों के माध्यम से हस्तांतरित किए गए धन की जांच कर रहा है।
सीबीआई ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ पांच जुलाई को भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। यह मामला 2006 का है जब रांची और पुरी में भारतीय रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म करपोरेशन (आईआरसीटीसी) के दो होटलों के आवंटन अनुबंध में कथित अनियमितताएं पाई गई थीं। यह ठेका एक निजी कंपनी को दिया गया था। उस वक्त लालू रेलमंत्री थे।