नई दिल्ली/इंफाल। बहुचर्चित मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला, जोकि पिछले 16 साल से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) को हटाने के लिए भूख हड़ताल कर रही थी, उन्होंने आगामी 9 अगस्त को अपनी भूख हड़ताल खत्म करके मणिपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
एक स्थानीय अदालत से बाहर आते हुए 44 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता ने घोषणा की कि मैं नौ अगस्त को अपना अनशन समाप्त कर दूंगी और चुनाव लड़ूंगी। उन्होंने कहा कि अब उन्हें नहीं लगता कि उनके अनशन से ‘कठोर’ आफ्सपा हट पाएगा, लेकिन वह लड़ाई जारी रखेंगी।
इरोम का कहना है कि उन्हें अपने आंदोलन के लिए जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है। इसलिए उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव में उतरने का फैसला किया है। अफस्पा विरोधी विचारधारा के लिए वह चुनाव में उतरेंगी।
इरोम शर्मिला को आयरन लेडी के तौर पर जाना जाता है। वर्ष 2014 में दिल्ली के जंतर मंतर पर आमरण अनशन करने के लिए उनपर साल 2013 में आत्महत्या की कोशिश को लेकर ट्रायल चला था।
उन्होंने ये भी कहा कि ‘मैं लोगों को बताना चाहती हूं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां आंदोलन का मतलब बंद बुलाना हिंसक प्रदर्शन करना और आगजनी करना नहीं है। ऐसी हिंसक प्रदर्शनों से उन राजनेताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ता जो करोड़ों रुपये खर्च करके कुर्सी तक पहुंचे हैं। तब तक कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है जब तक लोगों में से कोई सच्चा प्रतिनिधि निकल कर नहीं आता।