सबगुरु न्यूज़: आज के दौर में चाहे हम भले ही हिंदी में काम कर रहे हों लेकिन ऐसे कई काम हैं जो हम अंग्रेजी में ही करते हैं हर कोई अब बात भी अंग्रेजी मे ही करना ज्यादा पसंद करता हैं ईमेल से लेकर इंटरव्यू तक सब कुछ अंग्रेजी में होता है हिंदी फिल्मों के डायलॉग भी अंग्रेजी में लिखे जाते हैं मोबाइल पर प्रमोशनल मैसेज अंग्रेजी में आता है किसी भी नौकरी के लिए एप्लिकेशन फॉर्म अंग्रेजी में भरा जाता है|
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ऐसे में हिंदी भाषी लोग जिस परेशानी का सामना कर रहे हैं वो कभी नहीं चाहते कि उनके बच्चों को भी उसी समस्या से जूझना पड़े यही कारण है कि हमेशा से ही ऐसे पैरेंट्स अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम के किसी बड़े स्कूल में शिक्षा दिलाने की होड़ में लगे रहते हैं|
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लेकिन जब बात राजधानी दिल्ली की हो तो यहां बड़े स्कूल में बच्चों को एडमिशन दिलाना बच्चों का खेल नहीं है ऐसे ही हम और आप में से किसी एक पैरेंट्स की कहानी आज(शुक्रवार) रिलीज हुई फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ में बड़े ही इंटरटेनिंग अंदाज में दिखाई गई है|
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फिल्म में वही दिखाया गया है कि पैरेंट्स हों या फिर टीचर की सोच यही होती है कि गरीब बच्चा जब अमीर बच्चों के बीच आएगा तो उनके साथ बाचतीत से लेकर, उठने-बैठने और खाने-पीने तक किसी भी चीज में उनकी बराबरी नहीं कर पाएगा, फिर वो डिप्रेशन में चला जाएगा तो इससे बेहतर है कि उसकी जगह किसी अंग्रेजी वाले को ही एडमिशन मिल. ऐसी ही गंभीर मुद्दे को ये फिल्म बहुत ही मनोरंजक अंदाज में दिखाती है|