परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज एक्सक्लूसिव-माउण्ट आबू। वसुंधरा राजे सरकार ने मेडीकल टूरिज्म को नए सिरे से परिभाषित किया लगता हैं।
संभवतः इस परिभाषा से राजस्थान का आम नागरिक और कई अधिकारी भी नावाकिफ होवें, लेकिन माउण्ट आबू राजकीय चिकित्सालय में रविवार सवेरे जो हालात दिखे उससे यही प्रतीत हो रहा है कि राज्य सरकार ने सरकारी चिकित्सालयों को चिकित्सक और सुविधाओं से विहिन करके वहां टूरिस्ट ठहराने जैसी कोई योजना लागू कर दी है।
sabguru.com। लापरवाही के यही हालात रहे तो वो दिन दूर नहीं जब चिकित्सा विभाग को मेडीकल टूरिज्म विभाग और चिकित्सालयों को विश्रांति भवन से रूप में पुकारा जाने लगेगा।
बिस्तर पर गीली तौलिया, बिखरे बैग
माउण्ट आबू चिकित्सालय में रविवार सवेरे करीब साढे नौ से पोने दस बजे जो नजारा दिखा उसे देखकर वहां पर गए मरीज हतप्रभ रह गए। sabguru.com। वहां के आधा दर्जन बैड में से दो बैड पर चार युवकों के गीले तौलिये, अंडर गारमेट और कपडे सूख रहे थे। कुछ युवक वहां पर तैयार हो रहे थे। यह नजारा हाॅस्पीटल से ज्यादा किसी होटल के कमरे जैसा ज्यादा लग रहा था।
बोले कमरा नहीं मिला तो ठहर गए…देखिये वीडियो…
विजिलेंट सिटीजन ने बाकायदा इनका वीडियो भी बनाया है। इन युवकों से जब पूछा कि यहां क्यों ठहरे तो बताया कि रात को ठंड लगी। कमरा नहीं मिला तो यहां ठहर गए। sabguru.com। यह स्वयं को मेडिकल स्टूडेंट बता रहे थे। इन्होंने बताया कि माउण्ट आबू चिकित्सालय के एक कार्मिक ने ही इन्हें यहां सुलाया है।
अव्यवस्थाओं पर लताडा था चिकित्सा मंत्री ने
यह हालात तब हैं जब पिछले महीने माउण्ट आबू प्रवास के दौरान यहां आए चिकित्सा मंत्री ने माउण्ट आबू चिकित्सालय के प्रशासन को आडे हाथों लिया था। sabguru.com। संभवतः यह अपने आपमें प्रदेश का एकाकी मामला होगा जहां पर चिकित्सालय के बैड मरीजों की बजाय वहां पर्यटन के लिए आए युवकों को रात्रि विश्राम के लिए उपलब्ध करवाया जा रहा हो।
रिपोर्ट मांगी है…
माउण्ट आबू चिकित्सालय में टूरिस्ट ठहराने की सूचना हमें मिल गई है। रविवार को इसकी जानकारी मिलते ही सीएमओ से इसकी रिपोर्ट पेश करने को कहा था। दो दिन अन्य कार्यों में व्यस्तता के कारण यह प्रकरण दिखवा नहीं पाए।
अरविंद पोसवाल
एसडीएम माउण्ट आबू।