सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही नगर परिषद भाजपा शासन में जारी पट्टों के मामले में जिला प्रशासन और एसीडी के साथ-साथ विधानसभा को भी गलत सूचना देकर भ्रमित करती प्रतीत हो रही है। विधानसभा के सातवे सत्र में कांग्रेस विधायक भजनलाल जाटव के सवाल पर भेजे गए लिखित जवाब में सिरोही नगर परिषद से 1 नवम्बर 2014 से जुलाई 2016 तक 66 पट्टे जारी किए जाने की सूचना दी है।
इसकी सूची भी जारी गई है, लेकिन इस सूची में अतिक्रमण नियमन के ऐसे कई पट्टे हैं जिनकी सूचना शामिल नहीं है। खसरा संख्या 1218 के दो पट्टे ऐसे हैं जिसकी फाइल न तो एसीबी ने मांगी है, न ही तहसीलदार ने इसे रद्द किया है और न ही राजस्थान विधानसभा को भेजी गई सूची में इनका नाम भेजा गया है।
इसके अलावा भी सबगुरु न्यूज के पास दो पट्टे और भी हैं, जिनकी सूचना नगर परिषद की ओर से विधानसभा को भेजी गई सूची में नहीं है। विधानसभा की संचालन प्रक्रिया के जानकार विधायकों कहना है कि यदि अधिकारियों ने ऐसा किया है तो फिर उनके खिलाफ विधानसभा की समिति में जांच करके विशेषाधिकार हनन की कार्रवाई हो सकती है।
-पंजीयन कार्यालय में हो चुका है पंजीयन
सिरोही नगर परिषद की ओर से राजस्थान विधानसभा में भेजी गई सूची में 15 जनवरी 2015 को पंजीकृत हुए खसरा संख्या 1218 के दो पट्टों का जिक्र नहीं है। खसरा संख्या 1218 राज्य सरकार ने नाम पर है। ऐसे में इस खसरे के शेष 13 पट्टों की तरह ही इन दो पट्टों के भी अतिक्रमण नियमन के होने की पूरी संभावना है।
जिला प्रशासन, भ्रष्टाचार निरोधक विभाग भी इन दोनों पट्टों को छोडकर शेष 13 पट्टों पर ही अपनी कार्रवाई को आगे बढाया हुआ है। भजनलाल जाटव के सवाल पर विधानसभा में भेजी गई पट्टों की सूची में 28 नवम्बर, 2014 के खसरा संख्या 1026 की 3183 वर्गफीट के एक पट्टे और खसरा संख्या 1026 की ही 2992.50 वर्गफीट के पट्टों का जिक्र नहीं है। इसी तरह 19 नवम्बर, 2014 को जारी किया गया खसरा संख्या 1221 के 14 हजार 973 वर्गफीट के पट्टे की सूचना भी इसमें नहीं हैं।
इन पट्टों पर केवल आवासीय प्रयोजनार्थ, आवंटन/नियमितिकरण 16-1 पट्टा विलेख लिखा हुआ है। यह दोनों खसरे भी सिरोही में राजस्थान सरकार के नाम से राजस्व रिकाॅर्ड में दर्ज हैं ऐसे में संभावना है कि यह पट्टे भी नियमन के है और एक नवम्बर के बाद ही जारी किए गए हैं। ऐसे में विधानसभा को भेजी गई सूचना और सूची में इनका भी नाम आना चाहिए था।
-काॅलोनियों के पट्टों की सूचना ही नहीं
भजनलाल जाटव ने सिरोही नगर परिषद में उक्त अवधि में जारी किए गए पट्टों की सूची मांगी थी। इसमें इस बात का कोई उल्लेख नहीं था कि पट्टे नियमितिकरण के हैं, स्टेट ग्रांट के हैं या फिर किसी और नियम के तहत। ऐसे में सिरोही नगर परिषद के द्वारा विधानसभा में प्रदेश के एक नुमाइंदे को सिर्फ नियमन, स्टेट ग्रांट के पट्टों की सूचना भेजना एक तरह से विधानसभा को और स्वयं विधायक भजनलाल जाटव को अधूरी जानकारी देकर भ्रमित करने से कम नहीं है।
-जांच हो तो ऐसे कई मामले आएंगे सामने
उक्त सभी पट्टों पर नियमन लिखा हुआ है और राजस्व रेकर्ड में यह जमीनें राजस्थान सरकार ने नाम से दर्ज है। ऐसे में इन भूमियों के पट्टों के अतिक्रमण नियमन के पट्टे होने की पूर्ण आशंका हो सकती है। यदि विधानसभा सचिवालय से उक्त अवधि में जारी किए गए पट्टो की जांच हो तो ऐसे कई प्रकरण सामने आने आशंका प्रतीत हो रही है।
-इनका कहना है….
इस मामले की जानकारी करवाउंगा। इस तरह तथ्य छिपाना बहुत ही गलत बात है। संपूर्ण तथ्यों की जानकारी लेकर जो आवश्यक होगा वह कार्रवाई करेंगे।
भजनलाल जाटव
विधायक, वैर विधानसभा।
नियमन करण लिखे हुए पट्टे दो तरह के होते हैं। अतिक्रमण नियमन के पट्टों पर भी नियमितिकरण लिखा होता है और पूर्वजों की राजा महाराजा के समय की भूमि के पट्टों पर भी नियमितकरण लिखा होता है। सरकारी भूमि है तो उसके नियमन का पट्टा अतिक्रमण नियमन का पट्टा होता है। यह सूचनाएं विधानसभा, एसीबी और प्रशासन तीनो के पास सही-सही जानी चाहिए थी, इसकी पूरी जानकारी करके बताता हूं कि चूक कहा हुई।
प्रहलादसहाय वर्मा
आयुक्त, नगर परिषद सिरोही।
विधनसभा मे अधिकांश सवाल विधायक इसलिए पूछते हैं कि उन्हें किसी अनियमितता या कमी की सूचना हो। ऐसे में कई बार अधिकारी भी इन सूचनाओं को छिपाने का प्रयास कर देते हैं। विधायक को यदि तथ्य छिपाने की जानकारी होती है तो स्टार्ड सवाल मे वह तीन सप्लीमेंट्री सवाल भी लगा सकते हैं और लिखित जवाब मे गलत सूचना मिलने पर लिखित मे कार्रवाई कर सकते है।
तारा भंडारी
राजस्थान विधानसभा की पूर्व उपाध्यक्ष।