नई दिल्ली/मुंबई। मुंबई के 26/11 हमले के गुनहगार आतंकी डेविड कोलमैन हेडली ने अपनी गवाही के तीसरे दिन बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि वर्ष 2004 में गुजरात में पुलिस एनकाउंटर में मारी गई इशरत जहां आत्मघाती हमलावर थी और वह लश्कर के लिए काम करती थी। उसे गुजरात के अक्षरधाम मंदिर और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिसे अंजाम देने में वह असफल रही।
डेविड हेडली ने मुंबई कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग से गवाही के दौरान कहा कि इशरत लश्कर-ए-तैयबा की फिदायीन आतंकवादी थी और वह मुजम्मिल नाम के आतंकी के साथ काम करती थी। उसने कहा कि भारत में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए उसे भेजा गया था।
हेडली ने गवाही के दौरान बताया कि 14 सितंबर 2006 को उसने मुंबई की तारदेव मार्किट में एक ऑफिस खोला। जिसके लिए नवंबर 2006 में एग्रीमेंट साइन हुआ था। इस एग्रीमेंट को मिस्टर बोरा ने साइन किया था।
इसके बाद वर्ष 16 जुलाई 2008 में उसने लाइसेंस की को बढ़ाने के लिए आवेदन किया था जिसको मंजूर कर लिया गया था। हेडली ने बताया कि वह मुंबई हमले के बाद जनवरी 2009 में अपने इस ऑफिस को बंद करना चाहता था। मेजर इकबाल की भी यही राय थी, लेकिन राणा इसके पक्ष में नहीं था।
इसके बाद जब उसने दोबारा मुंबई का दौरा करने से पहले साजिद मीर की तरफ से उसको मेजर इकबाल ने चालीस हजार पाकिस्तानी करेंसी मुहैया करवाई। इसके अलावा 25000 डॉलर भी उसको मुहैया करवाए गए।
अप्रेल 2008 में मेजर इकबाल की तरफ से उसको दो हजार और जून 2008 में उसको 1500 रुपये दिए गए। उसने बताया है है वर्ष 2007 में तीन बार अपने इंटरनेट कने क्शन के लिए रिलायंस वेबवर्ल्ड गया था। उसके मुताबिक यहां पर उसके सिग्नेचर भी मौजूद हैं।
अमरीका में वीडियो कांफ्रेंस में तकनीकी गड़बड़ी के कारण बुधवार को हेडली की गवाही नहीं हो सकी थी। हेडली ने मुंबई के उन स्थानों की रेकी की थी जहां 26 नवंबर 2008 को लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादियों ने हमला किया था।
हेडली ने यह भी खुलासा किया कि संगठन ने शुरू में ताज महल होटल में भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों के एक सम्मेलन पर हमला करने की योजना बनाई थी। उसने बताया कि उसने लश्कर के कमांडरों के निर्देश पर प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर और नौसेना के वायुसेना स्टेशन की भी रेकी की थी।