नई दिल्ली। दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन की कैद में गुलाम महिलाओं के साथ सेक्स गुलाम की तरह व्यवहार होता है। इतना ही बल्कि वे सेक्स से प्रेगनेंट न हो जाएं इसलिए लिए उन्हें जबरन गभनिरोधक गोलियां और इंजेक्शन दिए जाते हैं।
आईएस के चंगुल से हाल ही में भाग निकलीं यजीदी महिलाओं ने एक अमरीकी समाचार पत्र को अपनी दास्तां सुनाई। उनका कहना था आतंकियों की कैद में जो महिलाएं व लडकियां हैं उनका शारीरिक रूप से यूज किया जाता है। विरोध करने पर अमानवीय यातनाएं भी दी जाती हैं। सेक्स के बाद उन्हें गर्भ न ठहर जाए इसके लिए गोलियां खिलाई जाती हैं।
इसके बावजूद अगर कोई महिला प्रेगनेंट हो जाती है तो उसका जबरन अबॉर्शन करवा दिया जाता है। आईएस का मानना है कि मां बनने के बाद महिलाएं सेक्स के लायक नहीं रह जाती हैं।
रोज खिलाई जाती है गर्भनिरोधक गोलियां
एक पीडित महिला ने बताया कि जिस कमरे में उसे रखा था उसमें सिर्फ एक बेड था। रोज जैसे ही शाम ढलती थी उसे डर सताने लगता था। वह जानती थी कि रात होने से पहले उसके साथ कोई न कोई रेप के लिए आ जाएगा। उसकी हर रात तकलीफ से गुजरती थी। सेक्स के लिए इनकार करने का हक गुलाम महिलाओं को नहीं है। इसके अलावा हमेशा डर बना रहता था कि कहीं इन सब कारणों से कहीं वह प्रेगनेंट न हो जाए। उसे प्रतिदिन एक लाल रंग की गोली खाने के लिए दी जाती थी। एक माह बाद उसे पता चला कि ये गर्भनिरोधक गोलियां थीं।
तोहफा के रूप में दूसरों को दीं जाती हैं गुलाम महिलाएं
इस्लामिक स्टेट के लड़ाके यजीदी समुदाय की महिलाओं और लड़कियों को बीते 2 साल से अपने कब्जे में लेकर इस तरह जुल्म ढा रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि आईएस लडाके लड़कियों को एक दूसरे के बीच तोहफे के रूप में बांटते रहते हैं। इसके पीछे भी आईएस का तर्क होता है कि ऐसा पैगंबर मोहम्मद के समय में भी होता था ताकि समूहों का एकीकरण किया जा सके।