पणजी। गोवा में हो रही 8वीं ब्रिक्स समिट के दौरान भारत सरकार की अंतरिक्ष विज्ञान एजेंसी इसरो ने रूस की इसी क्षेत्र की एजेंसी रोसकॉसमोस के साथ समझौता किया। इसी तरह भारत सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी विभाग ने रूस के फासो के साथ समझौता किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन की उपस्थिति में हुए इन समझौतों ने ये बता दिया कि भारत बदलते वैश्विक हालात में रूस के साथ अपने संबंधों का दायरा बढ़ाना चाहता है।
भारत सरकार की अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र की एजेंसी इसरो ने रूस की एजेंसी रोसकॉसमोस के साथ ग्लोस्नॉस और नाविक के लिए जीएजीएस को लेकर समझौता किया। ग्लोस्नॉस रूसी तकनीकी का एक बेहतरीन उदाहरण है और ये जीपीएस के समकक्ष रखा जाता है।
नाविक दरअसल भारतीय ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम है, जिसके चलते भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा हो पाया है। शनिवार, 15 अक्टूबर को गोवा में दोनों देशों के बीच इन ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम के लिए ग्राउंड मेजरमेंट गैदरिंग स्टेशनों को लेकर समझौता हुआ। जिससे अब भारत का इसरो और रूस की एजेंसी रोसकॉसमोस मिलकर ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम पर काम कर सकेंगें।
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