इस्लामाबाद। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने बुधवार को कहा कि कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव की पत्नी के जूते में कुछ ‘धातु जैसी चीज’ मिली, जिसके बाद इसे जब्त कर लिया गया। भारत ने इससे पहले जाधव व परिजनों के बीच सोमवार को मुलाकात के बाद इसे वापस नहीं करने के लिए इस्लामाबाद पर आरोप लगाया था।
एक बयान में विदेश कार्यालय ने मुलाकात के दौरान भयभीत करने वाले माहौल के भारत के बयान को खारिज कर दिया और भारत के आरोप को आधारहीन और तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाला(ट्विस्टेड) बताया।
बयान के अनुसार हम बेमतलब की जुबानी जंग में नहीं पड़ना चाहते। हमारा खुलापन और पारदर्शिता इन आरोपों को झूठा साबित करती है। अगर भारत की चिंता जायज है तो, भारतीय(राजनयिक के) मेहमान को मीडिया के समक्ष यह मामला उठाना चाहिए, जोकि भारत द्वारा आग्रह के बाद सुरक्षित दूरी पर मौजूद थे।
विदेश कार्यालय ने कहा कि जाधव की पत्नी चेतनकुल के जूते रख लिए गए, क्योंकि उसमें कुछ धातु जैसे पदार्थ मिले थे।
विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि जूते में कुछ था। इसकी जांच की जा रही है। हमने इसके बदले उन्हें जूते दिए। मुलाकात के बाद सभी जेवर वगैरह लौटा दिए गए।
भारत ने अपने कड़े बयान में पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा मुलाकात से पहले जाधव की मां एवं पत्नी के बिंदी, मंगलसूत्र और चूड़ियां उतारने का आरोप लगाया था।
भारत ने कहा कि कुछ असाधारण कारणों से, उनके बार-बार आग्रह करने के बावजूद, मुलाकात के बाद जाधव की पत्नी के जूते नहीं लौटाए गए। इस संबंध में हम किसी भी शरारती मंशा के खिलाफ पाकिस्तान को चेतावनी देते हैं।
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने बयान में याद दिलाते हुए कहा कि जाधव की मां ने सार्वजनिक तौर पर मीडिया के समक्ष मानवीय पहल के लिए पाकिस्तान को धन्यवाद दिया है। इससे ज्यादा और कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
समाचार पत्र डॉन के अनुसार दोनों महिलाओं की सोमवार को विदेश कार्यालय आने के दौरान ली गई तस्वीर में, चेतनकुल जाधव को भूरे रंग के जूते पहने देखा जा सकता है, लेकिन जाते वक्त उन्होंने सफेद चप्पल पहन रखा था।
भारत ने अपने बयान में कहा कि सुरक्षा कारणों का हवाला देकर, परिजनों की सांस्कृतिक व धार्मिक संवेदनशीलता पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्हें मंगलसूत्र, चूड़ियां, और बिदी तक उतारनी पड़ी और यहां तक कि अपने पोशाक भी बदलने पड़े।
बयान के अनुसार जाधव की मां को उनके मातृभाषा में बात करने नहीं दिया गया, जबकि यह संचार का सहज माध्यम है। ऐसा करने पर उन्हें लगातार रोका गया और इसे आगे नहीं दोहराने के लिए कहा गया।