भोपाल। हाथी घोड़ा पालकी-यह कन्हैया लाल की, नंद के आनंद भयो…जय कन्हैया लाल की, एक आवाज मृदुलजी की तो दूसरी आवाज 40 हजार श्रोताओं की। वातावरण भक्तों के आनंद से स्वयं आनंदित था तो 40 हजार कंठो से निकली आवाज से पूरा आकाश गुंजायमान था।
अवसर था संतनगर में कर्मश्री के तत्वावधान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्म के प्रसंग का। इस अवसर पर बालगोपाल के जन्म की झांकी प्रस्तुत हुई जिसमें बाबा वासुदेव टोकरी में बालगोपाल को लेकर आए।
वहीं दूसरी ओर नंदोत्सव की झांकी भी प्रस्तुत की गई जिसमें गोपियां नंद बाबा और यशोदा मैया को बधाई गीतों के माध्यम से बधाई देती नजर आई। इन झांकियों से एसा विहंगम दृष्य उत्पन्न हुआ कि मानो बृजभूमि कथा पांडाल में अवतरित हो गई हो।
आनंद का आलम यह था कि इस अवसर पर स्वयं को झूमने से कोई नहीं रोक पाया, सभी के पैर अपना नियंत्रण खो बैठे और स्वमेव थिरकते रहे। मंच पर मौजूद मुख्य यजमान विधायक रामेष्वर शर्मा, गृहमंत्री बाबूलाल गौर, सामान्य प्रषासन मंत्री लालसिंह आर्य,सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा, पूर्व संासद कैलाष सारंग, डीआईजी रमनसिंह सिकरवार, पुलिस अधिक्षक अरविंद सक्सेना, एसपी हेडक्वार्टर अनिल महेष्वरी, वेयरहाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष जितेंद्र दुबे सहित अन्य अतिथि सभी सांवरे की भक्ति में आनंदातिरेक से भरकर लगभग आधे घण्टे तक जमकर झूमते नजर आए।
इनके साथ 40 हजार दर्शषक-श्रोताओं के 80 हजार कदम भी बालगोपाल के जन्म की खुषी में पूरे समय झूमते रहे। भगवान के जन्म की झांकियों का इस प्रकार से मंचन किया गया कि कथा पांडाल में बैठे 40 हजार से अधिक श्रद्धालु-श्रोता इस दृष्य को देखकर अपना जीवन धन्य समझने लगे। आचार्यश्री ने श्रीकृष्ण जन्म के प्रसंग का बड़ा सुंदर चित्रण किया।
कृपा की शक्ति ही सफलता दिलाती है: मृदुलजी
आचार्य गो.मृदुलकृष्णजी महाराज ने संतनगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा सुनाते हुए कहा कि मेरे भगवान की कृपा से मूक व्यक्ति भी वाचाल बन जाता हैै। विकलांग भी पर्वत लांघ जाता है। यह कृपा की शक्ति है। ध्रुव के जीवन में पांच बाते थी जिसके मूल में भगवान की कृपा थी। माता, पिता, गुरूदेव का आर्षीवाद, स्वयं का पुरूषार्थ और भगवान की कृपा। यह पांचों जिसके जीवन में होती है वह सफलता के षिखर पर पहुंच जाता है, उसका कभी पतन नहीं होता। जिसे जीवन में उन्नती करना हो उसे ध्रुवजी की कथा से कुछ सीखना चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि मेरे गोपाल के बल पर ही कथा हो रही है और हमें प्राप्त हो रही है। उनकी कृपा के बिना ना तो मैं कथा कह सकता हूॅं और ना ही आप सुन सकते हैं। जो यहां कथा में आया है उसे गोपाल की कृपा ही यहां लाई है।
संत हिरदारामजी स्वयं भागवत थे: मृदुलजी
भागवतजी में लिखा है जिसके जीवन में सेवा और सत्संग हो वह स्वयं भागवत बन जाता है। संत हिरदाराम राम जी के जीवन में यह दोनो बाते थी अत: वे स्वयं भागवत थे। संतजी चलते फिरते स्वयं भागवतमूर्ती थे। जो भागवत में लिखा है वह उनके जीवन में चरितार्थ था। आचार्य गो.मृदुलकृष्णजी महाराज ने चतुर्थ दिवस की कथा के दौरान संत हिरदाराम जी का स्मरण करते हुए उक्त सदविचार प्रकट किए। उन्होने कहा कि सोमवार को उनकी पुण्यतिथी है अत: उनकी कुटिया दिन भर खुली रहेगी, उनकी समाधी पर मत्था टेकने सभी को अवष्य जाना चाहिए।
धर्म का पालन कर कर रहे रामेश्वर शर्मा
कर्मश्री परिवार द्वारा भोपाल में लगातार सद्कार्य किया जा रहा है। मैं सात दिन भागवत करने के बाद जब वापस जाता हूॅं तब भी कर्मश्री और रामेष्वर शर्मा, द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे सद्कार्यों की सूचना मुझे मिलती रहती है। जन-जन में धर्म की भावना को जगाना अत्यंत आवष्यक है। कर्मश्री यह कार्य कर रहा है अत: आप भी कर्मश्री के साथ जुड़कर धर्म का कार्य करें। संतनगर में श्रीमद्भागवत कथा कर रहे आचार्य गो.श्री मृदुलकृष्ण महाराज ने चौथे दिन की कथा के दौरान राजा पृथु की कथा का प्रसंग सुनाते हुए आयोजक संस्था कर्मश्री और संस्था अध्यक्ष विधायक रामेष्वर शर्मा के बारे मे उक्त सद्विचार प्रकट किए।
उन्होने कहा कि श्रीमद्भागवत में राजा के तीन प्रमुख कार्य बताए गए हैं। पहला कार्य प्रजा के लिए काम मिले, दूसरा कार्य अपनी प्रजा के सामान और सम्मान दोनों को सुरक्षित रखे, तीसरा कार्य है राजा स्वयं भी धर्म का पालन करे और अपनी प्रजा को भी धर्म कार्य करने की प्रेरणा दे। शास्त्र कहते हैं कि यह सभी प्राणियों के लिए समान रूप से धर्म है जिसका पालन सभी को करना चाहिए।
यथा राजा तथा प्रजा अर्थात प्रजा के अंदर भी धर्म तभी होगा जब राजा धर्म का पालन करने वाला हो। जो राजा अपनी प्रजा से कर वसूल करता है, लेकिन यदि वह अपनी प्रजा को सद्कार्य मे ना लगाए तो ऐसे राजा के लिए भागवत में पृथुजी महाराज ने कहा है कि एसा राजा अपनी प्रजा के पाप भक्षण करता है। आचार्यश्री ने कहा कि विधायक के रूप में रामेष्वर शर्मा धर्म का पालन कर रहें हैं यह अच्छी बात है। यह उनका सद्कार्य है। अत: कर्मश्री से सभी को जुड़ना चाहिए।
आज के बच्चों-युवाओं को सत्संग की बड़ी आवष्यकता है
आज के युवाओं-बच्चों को सत्संग की बड़ी आवष्यकता है। जिसे सत्संग मिलता है उसकी सत्ता अखंड रहती है। उसकी सत्ता को कोई हिला नहीं सकता। आचार्यश्री ने चतुर्थ दिवस की कथा में ध्रुवजी का प्रसंग सुनाते हुए उक्त सद्विचार कहे। उन्होने कहा कि श्रीमद्भागवत में वर्णन है कि ध्रुवजी ने भगवान से मांगा था कि हे भगवन मुझे सत्संग प्रदान करें। भगवान ने ध्रुवजी से कहा कि ध्रुव तुमने जो मांगा है वह उत्तम है, मैं तुम्हें वरदान देता हूॅं कि तुम 36 हजार वर्षों तक राजसुख भोगोगे और अंत में मेरे परमधाम को जाओगे।
तीन भरत के कारण देश का नाम भारत वर्ष पड़ा
आचार्य गो. मृदुलकृष्णजी महाराज ने चतुर्थ दिवस की कथा कहते हुए बताया कि भारतवर्ष की धरती पर तीन भरत हुए जिनकी वजह से भारतवर्ष नाम पड़ा। पहले भरत थे श्रीराम के भाई भरत, दूसरे भरत हुए शकुंतला पुत्र भरत और तीसरे भरत है जिनकी कथा श्रीमद्भागवत में आती है वह जड़ भरत। इन तीनों भरत के कारण ही हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा है।
दया और संतोष का आचरण रखें
हमारे अंदर दया का भाव सदैव रहना चाहिए क्योंकि दया का उलटा करने पर ‘याद’ बन जाता है। दया भी धर्म है। हम अपने लिए दया चाहते हैं लेकिन दूसरों के लिए उसे खो देते हैं। यह नही होना चाहिए। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए हमारे अंदर भी दूसरो के प्रति दया का भाव होना चाहिए। अपने परिश्रम और मेहनत से हमें संतोष होना चाहिए, यह भी धर्म है। मन में असंतोष होने पर यह हमें गलत की ओर ले जाता है।
राम-कृष्ण से बड़ी शक्ति उनके नाम में है
आचार्यश्री मृदुलजी चतुर्थ दिवस की कथा के दौरान प्रभु के नामजप की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु राम और कृष्ण से भी अधिक शक्ति राम और कृष्ण के नाम में है। राम और कृष्ण का नाम कोई जड़ नहीं है अपितु चेतन है। जिस प्रकार डाईबिटिज के रोगी के सामने मिठाई का नाम लेने से उसकी शुगर बढ़ जाती है तो उसकी प्रकार राम और कृष्ण का नाम लेने मात्र से ही उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। नाम में बड़ी शक्ति है, बस हमारा विष्वास होना चाहिए। भगवान का नाम किसी के सिखाने से नहीं आता है, जिस पर बांकेबिहारी जी की कृपा हो वहीं प्रभु का नाम ले सकता है।
सुभावजा और अभ्यासजा भक्ति
भगवान की भक्ति दो प्रकार की होती है। एक होती है सुभावजा, दूसरी भक्ति होती है अभ्यासजा। कभी कभी घरों में षिषु बिना किसी प्रेरणा के या किसी के सिखाए बिना ही स्वमेव मंदिर की ओर, पूजा स्थल में प्रभु के स्मरण में रूचि लेता है। यह उसके पूर्वजन्म से जुड़ा होता है जो कि सुभावजा भक्ति का प्रकार है। दूसरी भक्ति अभ्यासजा है, जिसका सत्संग से अभ्यास कर प्राप्त करना होता है। कथा श्रवण करना अभ्यासजा भक्ति है।
समधुर भजनों पर झूमे श्रोता
अपने मधुर कंठ के लिए विष्वपटल पर चर्चित आचार्यश्री गो.मृदुलकृष्णजी महाराज ने चतुर्थ दिवस की कथा के दौरान एक से बढ़कर एक कई सुप्रसिद्ध भजनों की प्रस्तुतियां दी। आचार्यश्री के भजनों की स्वरलहरियां जैसे ही हवा में तैरती, पांडाल में बैठे 40 हजार से अधिक श्रोता स्वमेव सांवरे की भक्ति में झूमने लगते। आचार्यश्री ने रविवार को ‘गोविंद मेरो है…गोपाल मेरो है…’ ,‘तुम्हें अपना बना बैठे जो होगा देखा जाएगा…’, ‘जब होवे सच्चा तो क्यों ना मिले कन्हैया…’ ‘मोहन से दिल क्यों लगाया है…ये तू जाने या मैं जानू…’ जैसे भजनों की शानदार प्रस्तुतियां दी।
कथा सुनने के लिए सुबह 8 बजे निकलते हैं, रात 10 बजे घर पहुंचते हैं
राधे-कृष्ण की भक्ति की तो दुनिया दीवानी है। आचार्य गो.मृदुलकृष्णजी महाराज के श्रीमुख श्रीमद्भागवत कथा सुनने और उनके मधुर कंठ से निकलने वाली भजनों की स्वरलहरियों का आनंद लेने के लिए बांकेबिहारी के भक्तों की दीवानगी देखते ही बनती है। राजधानी के संतनगर में गत् 17 दिसंबर से चल रही आचार्य गो.मृदुलकृष्ण जी महाराज की श्रीमद्भागवत कथा में भी बांकेबिहारी के भक्तों के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। आईए आपकों बताते हैं ऐसे ही कुछ भक्तों के बारे में:-
ये है इटारसी के मालवीय परिवार की वृंदा मालवीय और स्वाती मालवीय। आचार्यश्री के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा सुनने की इन्हें ऐसी लगन लगी है कि ये कथा सुनने के लिए सुबह 8 बजे इटारसी स्थित अपने घर से भोपाल के लिए निकलते हैं और रात्री 10 बजे वापस घर पहुंच पाते हैं। प्रतिदिन कथा पांडाल में सबसे पहले लगभग 12/12:30 तक पहुंचने वाली इन कथा प्रेमियों से कर्मश्री की मीडिया टीम ने बात की तो 22 वर्षीय स्वाती मालवीय ने बताया कि वे उनकी 55 वर्षीय मां वृंदा मालवीय और उनके 60 वर्षीय पिता रमेश मालवीय के साथ प्रतिदिन इटारसी से अमरकंटक एक्सप्रेस या अंडमान एक्सप्रेस से भोपाल के लिए निकलती है।
भोपाल स्टेशन से आॅटो या बस पकड़कर कथा स्थल पहुंचते हैं। अपना भोजन वे साथ लाती हैं और ट्रेन में आते-आते ही भोजन कर लेती हैं। कथा पांडाल में पहले आने के कारण सामने बैठकर कथा सुनने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त होता है। दिन भर कथा श्रवण करने के बाद प्रतिदिन छत्तीसगढ़ या समता एक्सप्रेस से रात 10 बजे के बाद ही इटारसी अपने स्थित घर वापस पहुंच पाती हैं। इन्होंने बताया के वे आसपास के क्षेत्रों मेें होने वाली मृदुलजी की सभी कथाओं में नियमित रूप से कथा सुनने पहुंचती हैं। वे अक्सर वृंदावन जाकर भी मृदुलजी के कार्यक्रमों में शामिल होते रहते हैं। उन्होने बताया कि संतनगर में कर्मश्री के तत्वावधान में आयोजित हो रही इस कथा के बारे में आध्यात्म चैनल पर जानकारी मिली। उनके पास आचार्यश्री की आध्यात्म पत्रिका भी नियमित रूप से आती रहती है। उन्होने बताया कि यहां चल रही कथा में उन्हें विषेष आनंद आ रहा है।
विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी की आरती
रविवार को श्रीमद्भागवत की आरंभ आरती में मुख्य यजमान हुजूर विधायक रामेष्वर शर्मा ने सपरिवार आरती-पूजन किया। इस अवसर पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष राम बसंल ने भी सपरिवार आरती पूजन किया। आरती पूजन में सागर ग्रुप के सुधीर अग्रवाल, भोपाल टाकिज के अष्विनी अग्रवाल, श्रीमती रेखा विरेंद्र सिंह मीणा, पत्रकार सतीष बत्रा, दिनेष रायचंदानी, सिन्धू सेना के दुर्गेष केषवानी, हेमंत आसवानी, जगदीष आसवानी, सुमित आहूजा, बब्लू केषवानी, अषोक मीणा, रामकुमार राजपूत, किषन यादव, हेमंत आसवानी, दीपक वसन्दानी, वीरेंद्र शर्मा, सर्व विष्वकर्मा समाज की ओर से ज्वाला प्रसाद विष्वकर्मा, अमरसिंह, गोरधन सिंह, और कमल विष्वकर्मा, मलयाली समाज की ओर से केटी कन्नन, अनिल नायर, कलाधरन, एमजी नायर, सरस्वती अम्मा, षिवानी पी नायर, सुरेष नायर, हर्ष कुमार, सजी मोहन, श्रीमती जननी अषोकन, दिनेष लाल जी, पी. अरिवन्दर्षन, पंकज साहू, मुकेष कटारे, सोनू शुक्ला, षिवचरित मानस मण्डल सदस्य, श्यामा मालवीय, निक्की श्रीवास्तव, राहुल दत्त संधीर, कुमकुम संधीर, कला रजक, अंजना लाल, पुष्पा उपाध्याय, आरती भम्मानी, नमिता पटेल, गीता चौहान, शकुन्तला शर्मा, भारती मोटवानी, बीएस वाजपेई, जमना यादव, कृष्णाराम, योगेष नागले, लक्ष्मण चांदवानी, चांदवानी भाउ, हरीष वासवानी, नरेष वासवानी, दिलीप मामा, कन्हैयालाल नाथानी सहित अन्य गणमान्य भी शामिल हुए।