नाडोल। लोकमान्य संत वरिष्ठ प्रवर्तक शेरे राजस्थान रूपमुनि महाराज ने कहा कि जिस प्रकार संसार के राग रंग मे रुचि रखता है उसी प्रकार यदि प्रभु स्मरण मे लीन हो जाए तो उसका तिरना संभव है। वे मुक्ता मिश्री रूपसुकन दरबार मे मंगलवार को आयोजित धर्मसभा मे प्रवचन कर रहे थे।…
उपप्रवर्तक सुकनमुनि ने कहा कि जीवन के अन्दर संयम प्रत, नियम, तप, प्रत्याख्यान ग्रहण करने से आत्मा उज्जवल बनती है। तपस्वी रत्न अमृतमुनि ने कहा कि जिस प्रकार भार्जन से दर्पन निर्मल होता है उसी प्रकार ज्ञानभ्यास से बुद्धि निर्मल होती है। डॉ.अमरेश मुनि निराला ने कर्माबाई जाटनी के उदाहरण के माध्यम से सच्ची भक्ति की महिमा बताई।
बालयोगी अखिलेशमुनि ने कहा कि अपने आप मे जो अध्ययन है वह स्वध्याय है। दक्षिण कुशालपुरा संघ के अध्यक्ष सुरेश छल्लानी, महामंत्री गौतम चन्द पगारिया बेंगलूरु, महेन्द्र सिघंवी हुबली ने अपने विचार व्यक्त किए।
बाहर से आए भक्तों का रूपसुकन चातुर्मास समिति नाडोल के अध्यक्ष कांतीलाल जैन, महामंत्री हितैष चौहान, संयोजक जयचन्द कटारिया, सहमंत्री जगदीशसिंह राजपुरोहित, उपाध्यक्ष देवीचन्द बोहरा, सह संयोजक पोमाराम चौधरी, किशोर अग्रवाल, नथमल गंाधी, छगनलाल मेवाडा, उमाराम चौधरी, अमरसिंह राजपुरोहित, मनीष मेवाडा, रूपमुनि महराज के निजी सचिव नरेन्द्र देवासी सहीत समिति सदस्यों द्वारा शॉल व माल्यार्पण से स्वागत किया गया।
दक्षिण भारत कुशालपुरा से आए संघ ने दिसम्बर के अंतिम सप्ताह मे कुशालपुरा में विराजने की विनती की जिस पर रूपमुनि महाराज ने सुखे समाधे कुछ दिन कुशालपुरा विराजने की साधु की भाषा मे स्वीकृति प्रदान की। मंच सचालन महावीरचन्द बोरून्दिया जसनगर वालों ने किया।