नाडोल। लोकमान्य संत वरिष्ठ प्रवर्तक शेरे राजस्थान रूपमुनि महाराज ने कहा कि आज के मनुष्य की यह कैसा विडम्वना है कि थोड़ा सा सम्मान मिलते ही वह पागल हो जाता है, जरा सा धन प्राप्त होते ही बेकाबू हो जाता है, साधारण सा ज्ञानार्जन सीखते ही वह उपदेश की भाषा बोलने लग जाता है और तनिक सा यश मिलते ही दुनिया का उपवास करने लग जाता है।…
वे मुक्ता मिश्री रूपसुकन दरबार में आयोजित धर्मसभा मे प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि सुन्दर रूप मिल गया हो तो वह दर्पण को तोड़ डालता है, थोड़ा सा अधिकार हासिल होते ही वह दूसरों को तबाह करने मे लग जाता है। इस प्रकार तमाम उम्र छलनी से पानी भरने की प्रक्रिया करते हुए अपने आप को बड़ा महत्वपूर्ण समझता है।
तपस्वी रत्न अमृतमुनि ने कहा कि समय का महत्व दो कारणों से है पहली बात तो ये है कि समय कभ्भी रुकता नहीं और दूसरा कारण है कि समय कभाी लौटता नहीं।
कवि प्रवक्ता डॉ.अमरेश मुनि ने कहा कि समय का जो सार्थक उपयोग कर लेता है वो कण कण से सुमेरू खड़ा कर लेता है। बालयोगी अखिलेशमुनि ने कहा कि समय किसी का द्वार दोबारा नहीं खटखटाता है।
दिनकर संदेश के सम्पाद• एवं राष्ट्रीय जैन कांफ्रेस के दिनेश •ुमार संचेती विगोद ने प्रवर्त• रूपमुनि महराज के व्यक्तित्व पर एवं कृतित्व पर प्र•ाश डाला एवं उनके पुरूषार्थ की सराहना करते हुए श्रमण संघ की भावी संरचंनाए ऐसी हो जो 50 सालो के भविष्य का निर्धारण करे।
दिन•र संदेश के सम्पाद• एवं आखिल भारतीय जैन, कांफ्रेंस के वरिष्ठ मार्ग दर्शक दिनेश संचेती एवं प्रान्तीय मंत्री मधु संचेती बिगोद सहित बाहर से आए भक्तों का रूपसुकन चातुर्मास समिति नाडोल के अध्यक्ष कांतीलाल जैन, महामंत्री हितैष चौहान, प्रकाशचन्द छैल्लाणी, सहमत्री जगदीशसिंह राजपुरोहित, उपाध्यक्ष देवीचन्द बोहरा, सह संयोजक पोमाराम चौधरी, किशोर अग्रवाल, नथमल गांधी, रूपमुनि महराज के निजी सचिव नरेन्द्र देवासी, छगनलाल मेवाडा, उमाराम चौधरी, अमरसिंह राजपुरोहित, मनीष मेवाडा सहीत समिति सदस्यों द्वारा शॉल व माल्यार्पण से स्वागत किया गया।