जयपुर। भारत अपनी 24 से अधिक राष्ट्रीय भाषाओं में साहित्य की समृद्ध विरासत के साथ लेखन के व्यापक क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बनाए हुए है। इस साल 21 जनवरी से शुरू हो रहे ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के सिस्टर पब्लिशिंग इंडस्ट्री इवेंट जयपुर बुकमार्क के मंच पर एक बार फिर भाषाओं और अनुवाद का जश्न मनाने की तैयारी हो चुकी है।
भाषा: फ्रीइंग द वर्ड के बहाने अनीता अग्निहोत्री, के सच्चिदानंदन, धु्रबा ज्योति बोराह, सीतांशु यशस्चंद्र तथा विवेक शानबाग मंच पर होंगे जो क्रमशः बंगला, मलयालम, असमी, गुजराती तथा कन्नड़ भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ परिप्रेक्ष्यों में बहुलता पर चर्चा करेंगे और इस बात पर विचार करेंगे कि क्या वास्तव में, ये मिलकर अनेक भाषाएं परंतु एक साहित्य ही है।
गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी के महान गुजराती उपन्यास सरस्वतीचंद्र के चार खंडों में अनुवाद की पहली कड़ी विद्वान और अनुवादक त्रिदिप सुहृदास द्वारा प्रस्तुत की गई है और यही इस गुजराती उपन्यास की व्यापकता तथा इसकी प्रासंगिता को केंद्र में रखकर होने वाले दिलचस्प वार्तालाप का विशय भी है।
भारत की महान साहित्यिक कृतियों को सुलभ बनाने के मसकद से द मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी आफ इंडिया ने अपने गठन के पहले साल के भीतर ही भारी योगदान किया है। भारतीय संस्कृति के अमर ग्रंथ रामचरितमानस के फिलिप ए. लुटगेनडर्फ द्वारा सात खंडों में प्रकाषित अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित सत्रों में ही भारत की उत्कृष्ट कृतियों, जिनका अनुवाद किया जा चुका है, के प्रभाव और पहुंच के बारे में भी चर्चा की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय कृतियों के संदर्भ में, चेजि़ंग लास्ट टाइम, ट्रांसलेटिंग प्राउस्ट में सी.के. स्काट मानक्रीफ्स के चर्चित अनुवाद प्राउस्ट्स ए ला रेकेरचू डू टैम्प्स पेरडू पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस कृति ने अनुवादक को इतना थका दिया था, हलकान कर दिया था कि महज़ चालीस साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई थी। स्काट मानक्रीफ्स की ज्यां फिन्डले उनके शानदार जीवन की उपलब्धियों पर प्रकाश डालेंगी।
बाइलिंगुएलिटीज़ में उन द्विभाषी लेखकों की जबर्दस्त प्रतिभाओं को टटोला जाएगा जो अलग-अलग भाषाओं तथा संस्कृतियों में सृजन करते हैं। यह सत्र योको तवाडा, कार्नेलिया फुन्के, अब्दुर्रहमान वाबेरी और इरा पांडे के साथ होगा जो जापानी, जर्मन, फ्रैंच, फ्लेमिष और अंग्रेज़ी तथा हिंदी भाषाओं में सृजन करते हैं।