जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख सुहासराव हिरेमठ ने कहा कि विश्व शांति के लिए भारत का शक्तिशाली राष्ट्र बनना आवश्यक है। जब तक भारत शक्ति शाली नहीं बनता तब तक आतंकवाद समाप्त नहीं होगा।
अमरीका का भोगवाद समाप्त होकर अमेरिकी आनंदित नहीं होंगे। इसलिए समाज को संगठित करते हुए राष्ट्र को वैभव सम्पन्न बनाना हमारा कर्तव्य है।
सुहासराव मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विजय दशमी उत्सव पर आयोजित समारोह में स्वयंससेवकों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान से ज्यादा चीन से खतरा है। चीन की महत्वाकांक्षी और विस्तारवादी नीति का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने तिब्बत पर अधिकार कर लिया है। अब उसकी नजर भारत पर है।
उन्होंने कहा कि विजय दशमी विजय का विश्वास जागृत कर आसुरी प्रवृति को ध्वस्त करने वाला दिन है। विजय के लिए शक्ति आवश्यक है। यह सामर्थ्य की उपासना का संदेश देने वाला त्योहार है।
सामर्थ्य केवल शस्त्रों में नहीं होता उसके लिए मनोबल और प्रबल इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जम्मू- कश्मीर के उरी में सेना के शिविर पर आतंकी हमला हुआ। इससे समाज में निराशा और आक्रोश का वातावरण बन गया था।
लेकिन हमारी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से पाक अधिकृत कश्मीर में जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया। यह तब संभव हुआ जब जागृत समाज ने समर्थ और मजबूत नेतृत्व को चुना इस आनन्द के अवसर पर सेना व नेतृत्व का अभिनंदन है।
अखिल भारतीय सेवा प्रमुख ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की शक्ति संगठित समाज पर निर्भर करती है। जापान और इजराइल इसके उदाहरण है। प्रतिकुलताओं के बाद भी अपने राष्ट्रीय भाव और संगठित शक्ति के कारण दोनों ही देशों ने पराक्रम हासिल किया है। इसलिए शक्ति सम्पन्न संगठित राष्ट्र बनाने के लिए हमें संकल्प लेना होगा।
गुरूगोविंद सिंह का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनका 350वां जयंती वर्ष है। गुरू गोविंद सिंह ने जाति, भाषा, पंथ, प्रांत आदि से उपर उठकर राष्ट्रहित के लिए समाज को संगठित करने का काम किया। धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार को बलिदान कर दिया।
स्वयंसेवकों को संबोधित करते उन्होंने कहा कि समरसता का संदेश विचारों के साथ- साथ आचरण से देना होगा। छुआछूत और भेद- भाव को समाप्त करने के लिए हिंदू समाज को हृदय से जागृत करना है।
रामानुजाचार्य की जयंती की इस वर्ष सहस्त्राब्दी है। उन्होंने जाति, पंथ के भेदभावों को मिटाते हुए, समाज के सभी वर्गों के लिए ज्ञान और भक्ति के द्वार खोले। उन्होंने कहा कि जाति, श्रेष्ठता और कनिष्ठता के आधार पर किसी को अपमानित और प्रताडि़त करना अपने समाज के लिए लज्जाजनक कलंक है।
सामाजिक समरसता लाना संपूर्ण समाज का काम है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में स्वयंसेवक समुचे राजस्थान में मंदिर, पानी और दाहसंस्कार स्थल के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए अभियान चलाएंगे।
समरसता लाने के लिए स्वयंसेवक कटिबद्ध परिश्रम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देशभक्ति, चरित्रता और समाज संगठन की गुणवत्ता निर्माण करने का साधन संघ की शाखा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम व्यक्ति निर्माण करेंगे, आने वाले दस वर्षों में सारा विश्व भारत माता की जय करेगा।
इससे पहले विजय दशमी उत्सव पर महाराज कॉलेज मैदान पर स्वयंसेवकों का एकत्रिकरण हुआ। स्वयंसेवकों ने घोष, दंडयोग, नियुद्ध और सूर्यनमस्कार का प्रदर्शन किया। शस्त्र पूजन हुआ। इसके बाद दो पथ संचलन निकाले गए।
पहला पथसंचलन- महाराज कॉलेज उत्तर पूर्वी द्वार, राम निवास बाग, अजायब घर, मोत डूंगरी रोड़, सांगानेरी गेट, बापू बाजार, न्यू गेट, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया गेट, छोटी चौपड़, किशनपोल बाजार, अजमेरी गेट और दूसरा संचलन महाराजा कॉलेज दक्षिण पश्चिम द्वार से शुरू होते हुए अशोक मार्ग, अहिंसा सर्किल, एमआई रोड़, गवर्मेंट हॉस्टल, संसाद चन्द्र रोड़, जालूपुरा रोड़, दरबार स्कूल, पशु चिकित्सालय, पांचबत्ती होत अजमेरी गेट पहुंचा।
दोनों ही संचलनों का अजमेरी गेट पर संगम हुआ। इसके बाद न्यू गेट, राम निवास बाग और अजयाब घर होता संचलन पुनः महाराज कॉलेज पहुंचक सम्पन्न हुआ। संचलन का मार्ग में जगह- जगह सामाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
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