जयपुर। हाल ही में दुबई के मोटिवेट पब्लिशिंग हाउस ने गुलमहक खान की 30 कविताओं का संग्रह फ्लावर्स प्रकाशित किया और इसी के साथ वह दुनिया की सबसे कम उम्र की कवियित्री बन गई।
जयपुर के रहने वाले अब्दुल वासे खान और नौरीन की बेटी गुलमहक ने सात साल की उम्र से ही अपने विचारों और सोच को शब्दों में बदलना शुरू कर दिया था।
सऊदी अरब में जन्मी गुलमहक अपने माता-पिता के साथ कनाडा चली गई और कुछ वर्षों बाद दुबई आ गई और फिलहाल दुबई के नॉर्ड एंग्लिया इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ रही है।
अपनी एक कविता में गुलमहक का कहना है कि कविताओं में तुकबंदी की कोई जरूरत नहीं है लेकिन उसकी कविताओं में शब्दों का चयन और संयोजन उन देशों की संस्कृतियों और सामाजिक ताने बाने को एक विशाल आइने के तौर पर दर्शाता है।
कविता के साथ गुलमहक को थियेटर और खेलों में भी रुचि है। उसे टेनिस खेलने का शौक है और वह कनाडा में ओंटैरियो टेनिस एसोसिएशन की सालाना जूनियर प्रतियोगिताओं में लगातार दो साल तक टॉप 5 खिलाड़ियों में शुमार रही।