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jallikattu ban : supreme court refuses to pass interim order before pongal
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जलीकट्टू पर जल्द फैसला देने की याचिका खारिज

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जलीकट्टू पर जल्द फैसला देने की याचिका खारिज
jallikattu ban : supreme court refuses to pass interim order before pongal
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नई दिल्ली। तमिलनाडु में सांड़ों के खेल जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 14 जनवरी तक करने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की कड़ी आलोचना की।

जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ये भी नहीं सोचा कि इस संबंध में आदेश तैयार भी हुआ है कि नहीं। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू के आयोजन पर रोक लगा रखी है।

अभी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और याचिकाकर्ता ने इस मसले पर तत्काल फैसला करने का आग्रह किया था। मद्रास हाईकोर्ट ने 2014 में जलीकट्टू पर रोक लगा दिया था जिसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी थी।

सुनवाई के दौरान तमिलनाडु ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट घुड़सवारी बंद क्यों नहीं करवाती जिससे जानवर प्रताड़ित होता है। तमिलनाडु में ये खेल सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है और ये वहां की परंपरा का हिस्सा हैं।

वरिष्ठ वकील शेखर नफड़े ने तमिलनाडु की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जलीकट्टू क्रूर खेल नहीं है और एकाध क्रूरता की घटनाएं अपवाद में होती हैं। इससे पहले सुनवाई के दौरान तमिलनाडु ने कहा था कि जब आदमी मैराथन में हिस्सा ले सकते हैं तो सांड़ क्यों नहीं हिस्सा ले सकते?

कोर्ट ने कहा था कि आदमी मैराथन में हिस्सा लेता है तो वो स्वतंत्र होता है लेकिन जानवरों के साथ 16वीं सदी के गुलामों की तरह सलूक होता है।

केंद्र सरकार ने जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि जलीकट्टू से रोक हटाई जानी चाहिए। यह कोई खूनी खेल नहीं है, न ही सांडों को कोई नुकसान होता है। यह पुरानी परंपरा है जिसमें 30 सेकेंड से लिए सांड को काबू कर शक्ति प्रदर्शन किया जाता है।