Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
Jammu and Kashmir should be handed over to army
Home Headlines कश्मीर को सेना के हवाले किया जाए

कश्मीर को सेना के हवाले किया जाए

0
कश्मीर को सेना के हवाले किया जाए
Jammu and Kashmir should be handed over to army
Jammu and Kashmir should be handed over to army
Jammu and Kashmir should be handed over to army

केसर की क्यारी में विख्यात कश्मीर घाटी में एक बार फिर हालात असामान्य हैं। इसके पीछे कहीं न कहीं पाकिस्तान प्रेरित जनता का हाथ दिखाई दे रहा है। कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने के बाद जिस तरह भीड़ उग्र हुई है और पुलिस व सेना के साथ हिंसक झड़पें की हैं, यह चिंता की बात है।

ऐसा पहली बार नहीं है कि पुलिस या सेना की कार्रवाई में कोई आतंकी मारा गया है। इससे पहले सैकड़ों आतंकी मारे जा चुके हैं, लेकिन किसी आतंकी के मारे जाने के बाद पुलिस व सेना के खिलाफ अर्से बाद इतने बड़े पैमाने पर भीड़ हिंसक हुई है। यह विरोध प्रदर्शन निश्चित रूप से आतंकवाद को समर्थन करता दिखाई दे रहा है। जिसे किसी भी तरीके से किसी भी समाज द्वारा जायज ठहराना अनुचित है।

यहां एक सवाल यह पैदा हो रहा है कि जो समाज इस हिंसक घटना में शामिल है, उनको ताकत कहाँ से मिल रही है। इस सवाल का जवाब सामान्य रूप से यही दिया जा सकता है कि इसके पीछे पूरी तरह से पड़ौसी देश पाकिस्तान ही जिम्मेदार है। हम जानते हैं कि सीमा पार से खुले रूप से आतंकवाद को शह दी जाती है और उसके इशारे पर अलगाव पैदा करने वाली ताकतें काश्मीर में जनता को भ्रम का वातावरण निर्मित कर रहीं हैं।

यह ताकतें आतंकवाद का खुलकर समर्थन भी करतीं हैं। इससे किसी न किसी रुप में आतंकवाद को बढ़ावा ही मिलता है। हम जानते हैं कि कश्मीर में तमाम सरकारी प्रयासों के बाद भी अलगाववादी ताकतें अपने मंसूबों में सफल होती जा रहीं हैं।

इसके विपरीत कश्मीर की जनता कई बार इनका विरोध भी कर चुकीं हैं, लेकिन पाकिस्तान के इशारे पर विघटनकारी कार्य करने वाले आतंकियों द्वारा वहां के समाज में जहर भरा जा रहा है, इसी के कारण वहां की जनता भ्रमित होकर सेना पर हमला करने की देश विरोधी कार्यवाही को अंजाम देती हैं। इस प्रकार की कार्यवाही किए जाने से भारत का मुस्लिम समाज भी संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा है।

भारत विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान द्वारा कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों का संचालन करता आ रहा है। पाकिस्तान ने हमेशा ही कश्मीर में भारत विरोधी वातावरण बनाने वालों की मदद की है। वर्तमान में आतंकी बुरहान के मारे जाने के बाद हालात वैसे ही दिखाई दे रहे हैं।

इस पूरे मामले में सेना कतई दोषी नहीं कही जा सकती, क्योंकि सेना को जो करना चाहिए था, सेना ने वही किया। भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करने देशद्रोही बुरहान को मार गिराने के बाद पाकिस्तान परस्त आतंकियों के बहकावे में आकर मुस्लिम समाज ने हिंसक कार्यवाही को अंजाम दिया। इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि सरकारें कश्मीर की स्थिति को सुधारने के लिए भले ही कितनी ही कार्यवाही करे, लेकिन हालातों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

कश्मीर घाटी में समय समय पर भले ही भारत सरकार मदद करती है, लेकिन वहां पर सक्रिय अलगाववादी ताकतें मदद लेने के बाद भी पाकिस्तान के इशारे पर ही अपना काम करती हैं। इनके बहकावे में आकर वहां का मुस्लिम पाकिस्तान के प्रति अपनी वफादारी का प्रदर्शन करता है।

पिछले दिनों कश्मीर में आई भयंकर बाढ़ के दौरान भी भारतीय सेना में बाढ़ में फंसे लोगों को बचाया, उस समय सेना ने यह नहीं देखा कि कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान। उसने सबको बचाया। हम जानते ही हैं कि वर्तमान में घाटभ् में केवल और केवल मुसलमान ही निवास करते हैं, तब यह कहा जा सकता है कि सेना ने केवल मुसलमानों को ही बचाया। इसके विपरीत पाकिस्तान के इशारे पर काम करने अलगाववादी नेता बाढ़ के समय दिखाई भी नहीं दिए।

आतंकी बुरहान की मौत के बाद वहां के स्थानीय समाज द्वारा पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए गए, सुरक्षा बलों पर हमले किए गए, कश्मीर को बंद किया गया। यह सब देश के विरोध में की गई कार्यवाही का हिस्सा था। यह वहां के समाज द्वारा दोगले पन की कार्यवाही है।

मदद मांगने के लिए भारत सरकार की ओर हाथ फैलाते हैं और पाकिस्तान के इशारे पर कार्य करते हैं। यह दोगलापन तब तक जारी रहेगा, जब तक वहां के समाज को पाकिस्तान परस्त अलगाववादी नेता भ्रमित करते रहेंगे।

इस प्रकार के हालातों में भारत सरकार और राज्य सरकार किसी प्रकार का कोई सुधार करने की स्थिति में नहीं हो सकती। इसके सुधार के लिए वर्तमान में केवल एक ही रास्ता बचता है कि कश्मीर को पूरी तरह से सेना के हवाले किया जाए। इसके अलावा सेना को देश विरोधी माहौल बनाने वालों के विरोध में कार्यवाही करने की पूरी छूट प्रदान की जाए।

पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने एक बार इस बात की खुली स्वीकारोक्ति की है कि कश्मीर पर कब्जे के लिए पाकिस्तान कई बार युद्ध जैसे हालात पैदा करके प्रयास कर चुका है। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद पाकिस्तान कश्मीर के भारत में विलय को पचा नहीं पाया था। पाकिस्तान की अपच का प्रत्यक्ष दर्शन काश्मीर घाटी में आज भी दिखाई दे जाता है।

बार बार पाकिस्तानी हमले को झेलता भारत और बार बार अपनी हार से बौखलाया पाकिस्तान अपने देश की जनता का मूल समस्या से ध्यान हटाने के लिए ही भारत में आतंकी कार्यवाही को अंजाम देता रहा है। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों और कश्मीर में वैनस्यता फैला रहे अलगाववादी नेताओं को पूरी तरह से संरक्षण देने का अपना मुख्य कार्यक्रम बना लिया है।

पाकिस्तान चाहता तो आतंकवाद फैलाने में जो धन व्यय हो रहा है, उसे पाकिस्तान की गरीबी को दूर करने के लिए किया जाता। लेकिन पाकिस्तान न जाने क्यों खुद के शीशे के घर को बचाने के बजाय मजबूत भारत में अहिंसक कार्यवाही को अंजाम देता रहा है। यह बात सही है कि पाकिस्तान कश्मीर को किसी भी रूप से हासिल नहीं सकता। यह बात पाकिस्तान के सर्वेसर्वा भी अच्छी तरह से जानते हैं। इतना ही कश्मीर की जनता भी इस बात से सहमत नहीं हैं।

जम्मू कश्मीर में महबूबा की चुनी हुई सरकार है और घाटी में उनकी पार्टी को भारी बहुमत मिला था, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि महबूबा सरकार को स्थिति को काबू करने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। भटके हुए कश्मीरी युवाओं को भी हिंसा व आतंक की राह छोड़ कर शिक्षा और रोजगार के बारे में सोचना चाहिए। हिंसा से आज तक किसी को भी कुछ हासिल नहीं हो सका है। उन्हें केंद्र व राज्य सरकार की विकास योजनाओं का भागीदार बनना चाहिए।

: सुरेश हिन्दुस्थानी