चंडीगढ़। हरियाणा में 29 जनवरी को प्रस्तावित जाट आंदोलन को लेकर प्रशासन व यशपाल मलिक खेमा आमने-सामने आ गया है। शनिवार को पूरे दिन एक तरफ जाट नेता आंदोलन की तैयारियों को लेकर गुप्त बैठकें करते रहे।
दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारी आंदोलन को देखते हुए संवेदनशील जगहों पर जवानों को तैनात करते दिखे। कई संवदेनशील जिलों में धारा-144 लागू हो गई है।
सोशल मीडिया से नहर व मुख्य मार्गों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यही नहीं कई जगहों पर जाट नेताओं व प्रशासन के बीच धरना स्थल को लेकर बहसबाजी भी हुई।
रोहतक जिला प्रशासन ने जाटों के एक धड़े द्वारा 29 जनवरी से आरक्षण आंदोलन का एक और चरण शुरू करने का आह्वान किए जाने के मद्देनजर एहतियात के तौर पर जिले के कई हिस्सों में धारा 144 लगा दी है।
एक अधिकारी ने बताया कि शहर में रेलवे स्टेशनों सहित राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों से करीब 500 मीटर की दूरी में 5 या उससे अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
पिछले साल इसी तरह के आंदोलन में 30 लोगों की मौत हो गई थी और व्यापक तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं। इस हिंसा में रोहतक, सोनीपत एवं झज्जर सहित इसके कुछ पड़ोसी जिले बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
झज्जर के एसपी ने बताया कि सुरक्षा एवं सावधानी के तौर पर पैरा मिलिट्री फोर्स की 8 कम्पनियां जिले में आ चुकी हैं। बाकी की फोर्स भी जल्द आ जाएगी। जिले के भी 1700 से अधिक पुलिस जवानों को सुरक्षा की दृष्टि से तैनात किया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दौरान हर व्यक्ति पुलिस एवं प्रशासन का सहयोग करे। अफवाह फैलाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा पुलिस सोशल मीडिया पर भी पूरी नजर रखे हुए है। सोनीपत में शाम से धारा 144 लागू हो गई है।
किसी भी उपद्रव से निपटने के लिए प्रशासन और पुलिस के पुख्ता इंतजाम हैं। सोनीपत में पैरामिलिट्री फोर्स की 30 कंपनियों की मांग की गयी थी, जिसमें से 15 कपनियां सोनीपत पहुंच गई हैं। दिल्ली को जाने वाले पानी वाली नहर मुनक की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
हिसार में अर्द्ध सैन्य बलों की 5 कंपनियां पहुंच गईं और मय्यड़ होते हुए हांसी तक फ्लैग मार्च निकाला। यमुनानगर में 200 होमगार्ड की यूनिट भी तैनात कर दी गई।
दूसरी तरफ शनिवार को धरना स्थल को लेकर जाट नेताओं व प्रशासनिक अधिकारी कई बार आमने-सामने हुए। जाट नेताओं ने कैथल में तितरम मोड़ व कैंची चौक देबन में धरने के लिए जगह मांगी थी लेकिन जिला प्रशासन ने कहीं भी अनुमति नहीं दी।
समिति के सदस्यों ने शाम को देबन गांव में पंचायत कर अपने स्तर पर देबन कैंची चौक पर ही आंदोलन के लिए जगह फाइनल कर दी है। हिसार में भी धरनास्थल निर्धारित नहीं है।
डीसी ने नोटिस जारी कर आयोजकों से जगह का विकल्प मांगा जिसका जवाब नहीं मिला।