जयपुर। दो जिलों के जाटों को ओबीसी आरक्षण और जैन समाज में संथारा प्रथा पर हाईकोर्ट की रोक के फरमान निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को भारी पड़ सकते हैं। राजनीति में खासा दखल रखने वाले दोनों समाजों को अब सरकार के रूख का भी इंतजार है।
जाट समाज आरक्षण मुद्दे को बिना किसी देरी के उठाने की तैयारी में है जबकि विपक्षी दल कांग्रेस इस मुद्दे को चुनावों में सरकार के खिलाफ भुनाने की तैयारी में है।
प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने पार्टी के जाट नेताओं, सदन में विपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी से इस मामले की समीक्षा कर दूसरे जाट नेताओं के साथ इसे तुरंत उठाने को कहा है। कांग्रेस इस मामले में सरकार की तरफ से पैरवी में कमी का आरोप लगाना चाहती है। इसे दूसरे जाटों के आरक्षण के साथ भी जोड़ा जाएगा।
दूसरी ओर राज्य सरकार फैसले का अध्ययन कर रही है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और कुछ मंत्रियों व पार्टी नेताओं से इस सारे में मामले को निकाय चुनावों से जोड़ कर तत्काल संभावित कार्यवाही पर विचार करने को कहा है।
जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने भी इस बारे में महासभा पदाधिकारियों से चर्चा की है। मील कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। कांग्रेस नेता भी उनके संपर्क में हैं। जानकारों के अनुसार कांग्रेस जाटों को आरक्षण के पक्ष में है। धौलपुर व भरतपुर के जाटों को आरक्षण पर कांगेस पूर्व में अपना रवैया साफ कर चुकी है।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की कोशिश है कि यदि राज्य सरकार ने इस मामले में आगे बढ़ कर जाटों का पक्ष नहीं लिया तो कांग्रेस इसे चुनावों में भुना सकती है। उधर, सत्तारूढ़ भाजपा में भी जाट नेता इस फैसले को लेकर सक्रिय हो गए हैं। बताया जाता है कि एक पूर्व मंत्री सहित कई नेताओं ने मुख्यमंत्री को इस बारे में तत्काल कदम उठाने को कहा है।
गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने जाट आरक्षण मामले में सोमवार को फैसला सुनाते हुए भरतपुर और धौलपुर के जाटों को ओबीसी वर्ग में मिल रहे आरक्षण को गलत ठहराते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी वर्ग से बाहर करे।
कोर्ट ने दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण देने के संबंध में 10 जनवरी, 2000 को जारी की गई अधिसूचना को भी रद्द कर दिया। जाटों को आरक्षण के विरोध में 1999 में याचिका लगाई गई थी। 16 साल सुनवाई के बाद 9 जुलाई को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जैन समाज में आक्रोश- उधर संथारा प्रथा पर रोक लगाने से जैन समाज नाराज है। समाज के लोग हालांकि इस फैसले को चुनौती देंगे पर समाज के संत इसे देश भर में मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
जानकारों का कहना है प्रदेश में जब भी जैन समाज से जुड़ा कोई बड़ा प्रकरण सामने आया है तो भाजपा और कांग्रेस की सरकार व दोनों पार्टियां समाज के साथ खड़ी दिखाई दी।
समाज से जुड़े मामले विधानसभा तक उठते रहे हैं। उस दौरान जैन समाज से जुड़े मंत्री व सदस्य पार्टी लाइन से हट कर एक जुट दिखाई दिए हैं। बताया जाता है कि राज्य सरकार इस फैसले की भी समीक्षा कर रही है और निकाय चुनावों में इस पर पडऩे वाले संभावित प्रभाव की समीक्षा कर रही है।