नई दिल्ली। जाट आरक्षण का मुद्दा कुछ हद तक सुलझता दिखाई दे रहा है। हरियाणा सरकार का कहना है उसका जाटों के साथ समझौता हो गया है हालांकि अभी भी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है।
दिल्ली में शुक्रवार को हरियाणा सरकार की ओर उसे जाट आरक्षण को लेकर गठित समिति ने प्रेसवार्ता कर जाटों के आंदोलन समाप्त करने की बात कही है। हालांकि इसमें जाटों के पक्ष से कोई नेता शामिल नहीं हुआ।
इस समिति के अध्यक्ष हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उनकी अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। यह समिति दो बार वार्ता कर चुकी है।
यशपाल मलिक के नेतृत्व में चल रहे जाट आरक्षण आंदोलन की ओर से यशपाल मलिक और हरियाणा में जाटों से जुड़े धड़ों से दो-दो प्रतिनिधियों सहित कल पानीपत में बैठक हुई थी।
उन्होंने बताया कि लगभग 6 घंटे चली वार्ता के बाद यह निर्णय हुआ कि सरकार जाटों की सात प्रमुख मांगें मान लेगी। कुछ मांगें पहले ही दो दौर की वार्ता में स्वीकार कर ली गई थी। इस अवसर हस्तलिखित समझौता पत्र को दर्शाते हुए रामविलास ने कहा कि इसे स्वयं यशपाल मलिक ने अपने हाथों से लिखा है।
हाईकोर्ट में लंबित फैसला आने तक जाट आरक्षण केंद्र की नौंवी सूची में शामिल किया जाएगा। केन्द्र के आरक्षण के लिए केन्द्र में वरिष्ठ मंत्री से 20 दिन पहले मिलवाकर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान सभी मुकदमों पर सरकार व संघर्ष समिति के बीच बनी सहमति के अनुसार पुन जांच की जाएगी।
जिसकी प्रक्रिया तुरंत प्रभाव से शुरू हो जाएगी जिसमें 2010 की पिछली सरकार के दौरान दर्ज हुए मामले भी शामिल हैं। आरक्षण आंदोलन के दौरान मृतक व अपंग हुए लोगों के परिजनों को स्थाई नियुक्ति दी जाएगी। 60 दिनों के अंदर। जेल में बंद सभी युवाओं के केसों की पुनः जांच की जाएगी।
अपंगों को 2 लाख, गोली लगने वालों को 1 लाख अन्यों को 50 हज़ार। सभी घायलों को मुआवजा देना शुरू कर दिया गया है। 15 दिनों में निपटान होगा। दोषी अधिकारियों को सजा दी जाएगी। 21 धरनों को उठा लिया जाएगा केवल 10 धरने रहेंगे और 20 तारीख को होने वाला बड़ा धरना वापस ले लिया गया है।