चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने जयललिता के उत्तराधिकारी के मुद्दे पर वी.के. शशिकला को अपना पक्ष रखने को कहा है। गौरतलब है कि अन्नाद्रमुक की राज्यसभा सांसद शशिकला पुष्पा ने अदालत में याचिका डालकर वी.के. शशिकला को पार्टी का अगला महासचिव बनाने की कोशिशों का विरोध किया है।
याचिका में दावा किया गया है कि पार्टी संविधान के मुताबिक वी.के. शशिकला इस पद पर चुने जाने के योग्य नहीं हैं। बता दें कि जयराम जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक के कई बड़े नेताओं और मंत्रियों ने जयललिता की करीबी वी.के. शशिकला से पार्टी महासचिव का कार्यभार संभालने का अनुरोध किया है।
शशिकला पुष्पा और उनके पति लिंगेश्वर थिलगन ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में अदालत से अनुरोध किया कि वह शशिकला को पार्टी महासचिव बनने से रोके।
याचिका में कहा गया है कि वी.के. शशिकला पार्टी के संविधान के मुताबिक इस पद के काबिल नहीं क्योंकि इसके लिए लगातार पांच साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य होना जरूरी है। वी.के. शशिकला को जयललिता ने गहरे मतभेद के कारण दिसम्बर 2011 में पार्टी से निकाल दिया था।
बाद में शशिकला के लिखित माफी मांगने के बाद मार्च 2012 में उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल किया गया। याचिका में कहा गया कि ऐसे में अगर पार्टी शशिकला को महासचिव बनाना भी चाहे तो मार्च 2017 तक इंतजार करना पड़ेगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के.एम. विजयन ने कहा कि शशिकला को महासचिव बनाने के लिए पार्टी का संविधान भी तब तक नहीं बदला जा सकता जब तक इस आशय के संसोधन को पार्टी की आमसभा मंजूरी न दे दे।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अन्नाद्रमुक और वी.के. शशिकला को 21 दिसम्बर को हलफनामा दाखिलकर अपना-अपना पक्ष रखने को कहा।