गोडडा। राजमहल ओपन कास्ट परियोजना की ललमटिया खदान के पहाड़िया भोड़ाय साइट में गुरुवार रात आठ बजे हुई दुर्घटना के बाउ शुक्रवार शाम तक दस लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। वहीं अभी खदान में 30 लोगों के दबे होने की आशंका है।
खदान से जिनके शव निकाले गए हैं उनमें नागेश्वर पासवान, हरेकृष्ण यादव, ब्रजेश यादव, राजेंद्र यादव, जावेद अख्तर के नाम शामिल हैं। इसके अलावा भी अन्य पांच के शव निकाले गये हैं जिनकी पहचान की जा रही है।
परियोजना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इसीएल परियोजना में कोयला खनन में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही थी। इस्टर्न कोल फील्ड की इस परियोजना में महालक्ष्मी कंपनी आउटसोर्सिंग के जरिए कोयला निकाल रही थी। खदान में 300 फीट नीचे तक माइनिंग चल रही थी।
परियोजना स्थल में करीब एक किलोमीटर का एरिया 300 मीटर नीचे तक धंस गया है। परियोजना में मिटटी धंसने से 35 से ज्यादा हाइवा और 4 पेलोडर भी धंस गये। सूत्रों का कहना है कि इस दुर्घटना में जो मजदूर दबे हैं उनमें से किसी के बचे होने की संभावना नहीं है।
दुर्घटना के बाद इलाके में बिजली पूरी तरह गुल हो गई रात 11 बजे यहां बिजली आई तो स्थानीय पुलिस और एनडीआरएफ के लोगों ने राहत और बचाव कार्य शुरु किया।
खदान में दुर्घटना की जानकारी मिलते ही मुख्य सचिव राजबाला वर्मा हेलीकॉप्टर से गोडडा पहुंची और खदान का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद उन्होंने मृतकों को दो लाख रुपये की राशि देने की घोषणा की वहीं इसीएल ने मृतक के परिजनों को पांच लाख और निजी ठेका कंपनी ने भी पांच लाख रुपए देने की घोषणा की।
मौके पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष दीपिका पांडेय सिंह ने मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपए का मुआवजा देने और दोषी पदाधिकारियों को नौकरी से डिस्चार्ज करने की मांग की। हादसे के बाद मामले की जानकारी लेने डीआइजी अखिलेश झा मौके पर पहुंच चुके हैं।
इसके अलावा कोल इंडिया ने इसीएल की तमाम कोलियरियों के जीएम स्तर के पदाधिकारियों को परियोजना स्थल के निरीक्षण के लिए भेज दिया है। इस परियोजना में लोगों को शिफ्ट के बाद क्षेत्र से नहीं हटाया गया होता तो यह हादसा और बड़ा हो सकता है। ऐसे में यहां 100 से ज्यादा लोगों की जान जा सकती थी।
गौरतलब है कि परियोजना में कभी भी दुर्घटना होने की आशंका से कामगार काम नहीं करना चाहते थे पर इसीएल के अधिकारियों के दबाव में यहां काम किया जा रहा था। इसीएल अपना टारगेट पूरा करने के लिए मजदूरों की जान जोखिम में डालकर उनसे काम ले रही थी।
परियोजना स्थल में बिड़ला ग्रुप की राजमहल आउटसोर्सिंग की मशीनों को लगाकर राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है। दुर्घटना के बाद शुक्रवार सुबह तीन बजे इसीएल के निदेशक तकनीकी बीएन शुक्ला मौके पर पहुंचे और स्थल का निरीक्षण किया।
फिलहाल यहां युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने दुर्घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद गोडडा डीसी अरविंद कुमार से बात की। मुख्यमंत्री ने उन्हें राहत और बचाव कार्य चलाने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री स्वयं इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं।
खदान में करीब 300 फिट नीचे 35 हाइवा, 35 डंपर, 4 पे लोडर सहित करीब 60 से अधिक लोगों के दबे होने की आशंका है। खदान के अंदर मोबाइल नेटवर्क नहीं हैं।
इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (इसीएल) की राजमहल कोल परियोजना के ललमटिया के भोड़ाय खदान में यह हादसा गुरुवार देर शाम सात बजे के आसपास हुआ था।
समय गुजरने के साथ खदान में दबे लोगों की बचने की संभावना कम होती जा रही है, हालांकि, राहत और बचाव कार्य जारी है। करीब 200 मीटर तक मिट्टी का ढेर हो गया है, जिसे हटाए बिना दबे लोगों तक पहुंचना मुश्किल है।
खदान तक जाने का रास्ता बंद हो चुका है। रात में एक दूसरा रास्ता बनाया गया, पर जब तक मिट्टी का ढेर नहीं हटेगा वहां तक जाना मुश्किल है। मलबा हटाने में दो से तीन दिन लग सकते हैं। फिलहाल खदान के पास तक पहुंचने के लिए रोड बनाने काम शुरू हुआ है। एनडीआरएफ की एक टीम मौके पर पहुंच गई है।
उपायुक्त अरविन्द कुमार और एसपी हरिलाल चौहान रात से ही मौके पर कैंप कर रहे हैं। अपने परिजनों के दबे होने की आशंका से लोगों में भारी आक्रोश है। इसे देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। काम करने वाले मजदूरों में झारखंड, बिहार और मध्यप्रदेश के भी बताये जा रहे हैं।
घटना की मॉनिटरिंग मुख्य सचिव राजबाला कर रही हैं। इसीएल कंपनी मुख्यालय पश्चिम बंगाल के संखतोडिया में है। संखतोडिया और धनबाद से डॉक्टर और अधिकारियों की टीम घटनास्थल पर पहुंच रही है। जानकारी के मुताबिक धसान की आशंका के मद्देनज़र यह खदान काफी दिनों से बंद पड़ा था।
इस खदान में पेटी पर काम करने वाले महालक्ष्मी कंस्ट्रकशन का कहना है कि राजमहल परियोजना ने उस पर काम शुरू करने का दबाव दिया। इसके बाद काम शुरू किया गया।
इधर, दो दिन पूर्व ही इसीएल के सीएमडी आर.आर. मिश्रा राजमहल परियोजना का निरीक्षण करने आए थे। उन्होंने अधिक से अधिक उत्तखनन का निर्देश दिया था।
झारखंड में गोड्डा कोयला खदान हादसे में अब तक सात लोगों के शवों को बाहर निकाला जा चुका है। हालांकि, अभी भी 300 फीट गहरे खदान में 60 से अधिक लोग फंसे हुए हैं और उनके जीवित होने की उम्मीद ना के बराबर है। ऐसे में परिजनों में हताशा बढ़ गई है।
इधर, गोड्डा खान दुर्घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास से दूरभाष पर राहत कार्य की जानकारी प्राप्त की। इस घटना पर पीएम मोदी ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए राहत कार्य में हरसंभव मदद का भी भरोसा दिलाया। जबकि मुख्यमंत्री ने सभी मृतक परिवारों को 2-2 लाख रुपए एवम घायलों को 25-25 हज़ार रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की।